जैसा की नाम से ही जाहिर है पीपीई यानि पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट। इसका मतलब निजी सुरक्षा के लिए तैयार चीजें। कोरोना से बचाव के लिए जो पीपीई इस्तेमाल में लाए जाते हैं उनमें पीपीई सूट, सेनेटाइजर और मास्क सबसे प्रमुख हैं। जैसे-जैसे कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है वैसे ही इन पीपीई की मांग में भी इजाफा हो रहा है। ज्यादा मांग के चलते इनकी कमी भी पैदा हो रही है, इसी कारण शहर के ६२ स्टार्टअप्स इन चीजों के लिए ही शुरू हुए हैं।
युवा उद्यमियों की क्षमता और कौशल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले दस उद्यमी तीन लाख पीपीई बनाने के लिए तैयार हैं। स्टार्टअप शुरू करने वाले युवा उद्यमी बेहद सस्ते पीपीई सूट तैयार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये दौर ज्यादा मुनाफा कमाने का नहीं बल्कि देश की जरूरतों को पूरा करने का है। इन उत्पादों के बेस रॉ मैटेरियल का संकट है क्योंकि उनका आयात चीन से होता था। इन उद्यमियों ने लोकल स्तर से कच्चा माल जुटाया है। कोई डीआरडीओ के साथ पीपीई सूट तैयार कर रहा है तो किसी का फोकस सिंगल यूज पीपीई पर है।
केंद्र सरकार ने पीपीई सूट का एक्सपोर्ट रोक दिया है, ताकि देश की जरूरतों को पूरा किया जा सके। डिस्पोजेबल बैग के साथ मास्क, कवरआल, हेडकवर और शू कवर का सेट दे रहे हैं। मांग बहुत है लेकिन फैक्ट्री में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की वजह से केवल 20 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।