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कानपुर

डेढ़ करोड़ के गेहूं घोटाले में १४ साल बाद ४४ पर हुआ मुकदमा दर्ज

बांगलादेश भेजने के नाम पर किया गया था घोटाला,खरीद से लेकर माल की ढुलाई भी फर्जी तरीके से की

कानपुरMay 03, 2019 / 02:54 pm

आलोक पाण्डेय

Wheat scam

डेढ़ करोड़ के गेहूं घोटाले में १४ साल बाद ४४ पर हुआ मुकदमा दर्ज

कानपुर। १४ साल पहले बांगलादेश भेजने के नाम पर किए गए डेढ़ करोड़ के गेहूं घोटाले में ईओडब्ल्यू ने ४४ फर्म संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले की जांच में सामने आया कि आरोपी फर्म मालिकों ने कागजों पर गेहूं की आपूर्ति दर्शाकर सारा भुगतान हड़प लिया था।
१२ फर्जी फर्मों के नाम पर हुआ खेल
इस घोटाले में खाद्यान्न व्यापारियों की मिलीभगत से कई जिलों की 12 फर्जी फर्मों के नाम पर एक ब्रोकर ने करीब डेढ़ करोड़ कीमत का 19 हजार कुंंतल से अधिक गेहूं बांग्लादेश निर्यात कर दिया। इसमें शमिल रेलवे व अन्य विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों की जांच अलग से चल रही है। ईओडब्ल्यू एसपी बाबूराम ने बताया कि निर्यातक 12 फर्मों के माध्यम से 7 रैक गेहूं व 2 रैक चावल सितंबर 2004 से फरवरी 2005 के बीच बांग्लादेश निर्यात किया गया। प्रियंका ओवरसीज डी 18 कनाट प्लेस नई दिल्ली की फर्म ने 5 रैक गेहूं उरई रेलवे स्टेशन से निर्यात किया। इसका भी कोई प्रमाण नहीं मिला।
जिनके पास खाने को नहीं उनसे दिखाई खरीद
घोटालेबाजों ने पूरी खरीद-फरोख्त और निर्यात फर्जी तरीके से की थी। उन्नाव के कई भूमिहीन किसानों से गेहूं खरीद दिखाई गई। जबकि पूछताछ में उन किसानों ने बताया कि वह भूमिहीन हैं और उनके पास खाने तक को गेहूं नहीं होता तो बेचेंगे कैसे। ब्रोकर हनुमान प्रसाद ओझा ने कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, उन्नाव, बांदा, हमीरपुर, कौशांबी, कन्नौज समेत अन्य जगह की 12 फर्मों से माल खरीदकर निर्यात किया था। जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला। सबकुछ कागजों में दर्ज करके घोटाला किया गया।
माल लाने वाले वाहन भी फर्जी
आरटीओ की रिपोर्ट से सामने आया कि माल ढोने वाले बहुत से ट्रकों के रजिस्ट्रेशन नंबर बाइक और आटो रिक्शा के रूप में रजिस्टर्ड हैं। ट्रक मालिक हरनाम सिंह ने भी यह बताया कि उसका ट्रक मौरंग का काम करता है। उसकी गाड़ी से कभी गल्ला नहीं ढोया गया।
रेलवे अफसरों के पास जवाब नहीं
रेलवे स्टेशन के माल गोदाम प्रभारी ने प्रमाणित किया कि कानपुर से गेहूं उरई स्टेशन भेजा गया। जबकि विवेचक डीके वर्मा के मुताबिक खाद्यान्न बागंलादेश गया ही नहीं बल्कि वापस बाजार पहुंच गया। वह कैसे निकला इसका जवाब रेलवे के पास नहीं है। साथ ही यह भी यह भी पाया गया कि 7569 कुंतल गेहूं प्रियंका ओवर सीज को बेचा तो गया लेकिन पूरा गेंहू बंगलादेश भेजा नहीं गया। कानपुर विनोवा नगर की फर्म प्रज्ञा ट्रेडिंग के माध्यम से 87.50 लाख कीमत का 11604 कुंतल गेहूं कागज पर ही उरई स्टेशन से रैक में लोड दिखाया गया। ब्रोकर और उसके सहयोगी यह नहीं बता सके कि गेहूं कहां से खरीदा और किस वाहनों के जरिए उरई पहुंचाया गया।

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