भावविभोर हो गए भक्त
कानपुर स्थित स्परूप नगर में नन्हें आचार्य नित्यम 21 श्रेष्ठ आचार्यो के साथ एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए। नन्हें आचार्य ने गायत्री मंत्र के साथ रुद्री पाठ और रामायण के दोहे सुनाए तो दर्शक दीर्घा में बैठे भक्त भावविभोर हो गए। नित्यम ने बकाएदा संस्कृत और हिन्दी में गीता के श्लोक सुनाए तो साथ ही भक्तों को भक्ती के मार्ग में चलने का उपदेश भी दिए। नन्हें आचार्य ने भक्तों से कहा, जो सत्य के मार्ग पर चलता है उसकी रक्षा ईश्वर करते हैं।
पिता ने दी शिक्षा-दिक्षा
नित्यम के पिता डॉक्टर संदीप जोशी (राजस्थान के संस्कृत विश्वविद्यालय )में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर जॉब करते हैं डॉक्टर जोशी ने बताया कि जब नित्यम दो साल के थे, तब हम गायत्री पाठ, रुद्री पाठ, रामायण, गीता और हनुमान चालीसा के दोहे गुनगुनाया करते थे। नित्यम भी तोतली आवाज से हमारे सुर में सुर मिलाकर भक्ती श्लोक गाता। नित्यम जब चार के हुए तब इन्हें भारत के धर्मग्रन्थों की अच्छी तरह से जानकारी हुई और फिर वो पढ़ाई के साथ-साथ इन्हें भी याद करनें लगे।
जबुन पर रटे हैं श्लोक
डॉक्टर जोशी प्रोफेसर के साथ-साथ पुजा-पाठ और कथावाचक भी हैं। डॉक्टर जोशी के मुताबिक जब भी हम किसी धार्मिक कार्यक्रम में जाते तो अपने बेटे को भी ले जाते। एक तरह से उसे हमनें ही ट्यूशन दी। वो पूजा-पाठ के अलावा धार्मिक ग्रन्थों के दोहे, श्लोक और चौपाईयों को दिमाग में बैठा लिया और अब बिना देखे और पढ़े आंख बंद कर भक्तों को श्लोकों के जरिए भक्ति बांट रहे हैं।
तीन भाषाओं का ज्ञान
नित्यम ने बताया कि उन्हें हिंदी-अंग्रेज़ी के साथ ही संस्कृत भाषा आती है। कहा, पिता जी ने उन्हें ये शिक्षा और दिक्षा दी है। नन्हें आचार्य के मुताबिक वो देश के कई शहरों में जाकर कथा के साथ-साथ पूजा-पाठ कराते हैं। नित्यम के मुताबिक वो भगवान हनुमान के भक्त हैं। मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ के अलावा वृत भी रखते हैं। कहते हैं उन्हें भी रुद्री पाठ हनुमान चालीसा सुंदर काण्ड ,भगवत गीता गायत्री मंत्र कंठस्त है। महज 35 से 40 मिनट में पूरा पढ जाते है वो भी बिना किसी पुस्तक को अपने सामने रखे हुए ।