वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान इंदिरा आवास योजना के तहत राजपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत महेशपुर निवासी बालवती, बुद्धावती व कलावती को आवास आवंटित किए गए थे। उनके सिकंदरा स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में खोले गए खातों में आवास की पहली किश्त 35-35 हजार रुपए भेजी गई, जिसे निकाल लिया गया। इस पर उक्त तीनों लाभार्थियों ने आवास किश्त न मिलने की शिकायत की। जांच में पीडी डीआरडीए ने पाया कि ग्राम पंचायत के तत्कालीन ग्राम सचिव अनुराग त्रिवेदी ने वास्तविक लाभार्थी के बजाय काल्पनिक आधार पर तीन अलग-अलग नामों से सिकंदरा एसबीआई के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर बैंक में खाते खुलवा लिए और पहली किश्त आवंटित करने का प्रस्ताव भेज दिया।
ग्राम सचिव ने विकासखंड स्तर से भी जान बूझकर फर्जी लाभार्थी बनाकर इंदिरा आवास की पहली किश्त जारी करा ली। इसके बाद दूसरी किश्त के लिए फर्जी लाभार्थियों को निर्माणाधीन आवास के सामने खड़ाकर उनके फोटोग्राफ ब्लाक में प्रस्तुत किए। डीआरडीए ने तीन आवासों की दूसरी किश्त भी जारी कर दी। इस तरह ग्राम सचिव ने तीनों आवासों की 70-70 हजार सहित कुल 2.10 लाख रुपए धनराशि निकाल ली। घालमेल पर डीएम ने डीडीओ को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। प्रकरण में ग्राम सचिव को जालसाजी एवं शासकीय धनराशि के दुरुपयोग का दोषी पाया गया है। इस पर डीडीओ ने ग्राम सचिव से 70 हजार रुपए धनराशि को जमाकर चालान रसीद पीडी डीआरडीए के यहां उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया है।
महेशपुर ग्राम पंचायत में इंदिरा आवासों की 2.10 लाख रुपए किश्त निकालने के घालमेल में तत्कालीन ग्राम सचिव के साथ ही तत्कालीन ग्राम प्रधान धर्मेश सिंह व भारतीय स्टेट बैंक सिकंदरा शाखा के व्यवस्था प्रतिनिधि ओमकार सिंह का भी पूरा सहयोग रहा।पीडी डीआरडीए ने जांच के बाद उक्त तीनों पर मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति की थी। ग्राम सचिव से 70 हजार रुपए वसूली, एक वार्षिक वेतन वृद्धि आजीवन रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि देने के बाद अब ग्राम प्रधान व एसबीआई के व्यवस्था प्रतिनिधि पर भी कार्रवाई होना तय है।
जिला विकास अधिकारी अभिराम त्रिवेदी ने बताया कि तीन इंदिरा आवासों की 21.0 लाख रुपए किश्त घालमेल कर निकालने का दोषी पाए जाने पर तत्कालीन ग्राम सचिव से वसूली का आदेश दिया गया है। साथ ही एक वार्षिक वेतन वृद्धि आजीवन रोकते हुए उन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है।