दरअसल गोरखपुर निवासी ज्ञानेश्वर प्रसाद खरे और कानपुर के स्वरूप नगर की रहने वाली कामिनी खरे का विवाह वर्ष 1969 में कानपुर में हुआ। शादी के बाद दोनों अमेरिका में जाकर रहने लगे। दंपति के एक बेटा समीर कुमार खरे और एक बेटी मोनिका खरे है। आपसी विवाद के चलते वर्ष 1990 में सुपीरियर कोर्ट ऑफ कैलिफोर्निया, काउंटी ऑफ ऑरेंज से दोनो का तलाक हो गया।
वहीं 2018 में ज्ञानेश्वर की मौत हो गई। इसके बाद गोरखपुर में ज्ञानेश्वर की संपत्ति पर कब्जे की नीयत से कामिनी भारत आई और गोरखपुर में पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया, लेकिन लेखपाल ने तलाक होने और स्थानीय निवासी न होने के आधार पर रिपोर्ट लगाकर आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद कामिनी ने स्वरूप नगर के बाबू विहार निवासी अपने भाई गोविंद के घर आकर इसी पते से आधार कार्ड बनवा लिया। आधार कार्ड द्वारा एसडीएम के यहां पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया।
कामिनी ने शपथपत्र में खुद को ज्ञानेश्वर की पत्नी, समीर को पुत्र व मोनिका को पुत्री दिखाया। वहीं मृत्यु प्रमाण पत्र से तलाक शब्द को मिटा दिया गया। इसमें सांठगांठ का मामला सामने आया। फिर लेखपाल की जांच रिपोर्ट के आधार पर 20 जुलाई 2020 को तलाकशुदा पत्नी कामिनी के नाम पर पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने गोरखपुर की कुछ संपत्ति बेच भी दी है।