गर्मियों में जगह-जगह कूड़ा जलाने से शहर में प्रदूषण की मात्रा में बढ़ोत्तरी हुई है। इसके अलावा वाहनों की ज्यादा होने से बढ़ा धुंआ भी प्रदूषण बढ़ाने में सहायक हुआ है। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदूषण की मात्रा अलग-अलग है।
पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से कानपुर को दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर घोषित किया गया था। मगर इसके बाद भी शहर में प्रदूषण कम करने को लेकर कोई कवायद शुरू नहीं की गई। जिस कारण गर्मी में प्रदूषण और बढ़ गया है।
बोर्ड की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल माह में पीएम-१० की मात्रा जो ५० होनी चाहिए वह ३१५ दर्ज की गई। जबकि एयर क्वािलटी इंडेक्स जो ५० से १०० के बीच होना चाहिए वह बढ़कर २०० तक जा पहुंचा।
विशेषज्ञों के मुताबिक इन महीनों में पीएम १० की मात्रा एक घनमीटर में १० माइक्रोग्राम के ५० प्रदूषित कण होने चाहिए। जबकि एयर क्वालिटी इंडेक्स की मात्रा १०० से ऊपर नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने पर श्वसन क्रिया पर विपरीत असर पड़ता है।
शहर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदूषण की स्थिति अलग है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति रामादेवी में है। मार्च में रामादेवी में पीएम १० की मात्रा ३३७ थी, जबकि अप्रैल में ३१५ रही। इसके विपरीत अन्य इलाकों में दादानगर में २५५, जरीब चौकी में २१७, किदवईनगर में १८६ और आवास विकास में १६० रही।