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कानपुर

प्रदूषण के कारण सूज रहीं दिल और दिमाग की नसें, जम रहा खून का थक्का

फेफड़ों और आंखों के साथ शरीर के कई अंगों पर पड़ रहा प्रभाव जहरीले धुएं के भारी तत्व से बढ़ रहा कैंसर का खतरा

कानपुरAug 07, 2019 / 10:51 am

आलोक पाण्डेय

air polution in kanpur

प्रदूषण के कारण सूज रहीं दिल और दिमाग की नसें, जम रहा खून का थक्का

कानपुर। शहर की हवा पहले ही सांस लेने लायक नहीं थी, अब यह खतरनाक भी हो चुकी है। फेफड़े और आंखें तो पहले ही खराब हो रही थीं, अब दिल और दिमाग पर भी इसका हमला हो रहा है। वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकल रहा धुआं दिल व दिमाग की नसों में खून का थक्का बनने की बात सामने आयी है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है।
जहरीले धुंए से सूज रहीं नसें
जहरीले धुएं में हैवी मेटल (भारी तत्व) खून में उन तत्वों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे दिल और दिमाग की नसों में सूजन आती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और कार्डियोलॉजी के डॉक्टर मिलकर अब इसकी पड़ताल करेंगे। एक रिसर्च प्लान बनाकर केन्द्र सरकार को भेजा गया है। इसमें डॉक्टर इंसान की रगों में बहते खून का सैम्पल लेकर हैवी मेटल की मात्रा देखेंगे। साथ ही इस जोखिम से बचने के उपाय भी बताएंगे।
कैंसर का भी खतरा
जहरीले धुएं के जरिए भारी धातुओं में सीसा, पारा, एल्यूमीनियम, कैडमियम, निकल आदि खून में घुल रहे हैं। हैवी मेटल खून में उन तत्वों को बढ़ा रहे हैं, जिससे दिल और दिमाग की नसों में सूजन आती है। लेड और कैडमियम के लंबे समय तक संपर्क में रहने से दिल की धमनियों में कड़ापन और खून के थक्के बनने लगते हैं। इससे कोमल कोशिकाओं में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
प्रदूषण पर होगा शोध
मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी, बायोकमेस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद नारायण सिंह और कार्डियोलॉजी के डॉ. उमेश्वर पाण्डेय मिलकर गंभीर हो रहे वायु प्रदूषण शोध करेंगे। डॉ. आनंद नारायण सिंह के मुताबिक वायु प्रदूषण गम्भीर स्थिति में पहुंच रहा है। हार्ट और ब्रेन की बीमारियों पर इसका क्या असर पड़ रहा है। यह देखा जाना है। हृदय रोग के जोखिम पर भारी धातुओं के प्रभाव पर कम ध्यान दिया गया है। 3.50 लाख लोगों पर रिसर्च किया गया।
हवा में घुले इन तत्वों खतरा
डॉ. आनंद नारायण सिंह के मुताबिक, एक दर्जन से अधिक देशों में लगभग 3,50,000 लोगों पर रिसर्च किया गया है, जिसमें 37 रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित हो चुकी हैं। इन अध्ययनों में विभन्नि साधनों के माध्यम से भारी धातुओं के संपर्क में आने का आकलन किया गया। इसमें हवा के साथ-साथ पीने के स्तर की जांच भी शामिल है। इनमें आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम और तांबा से कोरोनरी हार्ट डिसीज के जोखिम अधिक मिले हैं।

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