नरेश उत्तम निभा रहे अहम रोल
उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव Assembly by-election की हलचल तेज होते ही सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारना शुरू कर दिया है। बसपा चीफ मायावती BSP Chief Mayawati ने कांग्रेस से आए देवीप्रसाद को टिकट दिया है तो कांग्रेस व भाजपा की तरफ से कईयों ने दावेदारी की है। वहीं समाजवादी पार्टी Samajwadi Party उपचुनाव को लेकर पिछले एक माह से अंदरखाने तैयारी करने में जुटी है। यहां की कमान सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम Naresh Uttam को मिली हुई है। नरेश उत्तम भी इसी विधानसभा के निवासी है।
जादूगर को सपा से मिला था टिकट
14 वीं विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस के अजय कपूर ने बीजेपी के बालचंद्र मिश्रा को हराया था। समाजवादी पार्टी के जादूगर ओपी शर्मा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीएसपी के लखनलाल त्रिपाठी चैथे स्थान पर रहे थे। 16 वीं विधानसभा के चुनावों में बीजेपी के सत्यदेव पचैरी ने कांग्रेस के शैलेंद्र दीक्षित को हराया था। बीएसपी के सचिन त्रिपाठी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि सपा के अशोक अश्वनी चैथे स्थान पर रहे थे। 15 वीं विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस के अजय कपूर ने बीजेपी के हनुमान मिश्रा को मात दी थी। सपा के वीरेंद्र दुबे तीसरे स्थान पर रहे थे। बीएसपी के राजेंद्र कुमार तिवारी चैथे स्थान पर रहे थे। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव पचैरी यहां से विधायक चुने गए।
सिर्फ ब्रम्हण पर लगाया दांव
पिछले चार चुनाव में चारों राजनीतिक दलों ने सिर्फ ब्रम्हण चेहरे पर ही दांव लगाया है। क्योंकि यहां करीब 1 लाख 60 हजार मतदाता ब्राम्हण हैं। 3 लाख 49 हजार 3 सौ 42 मतदाताओं वाली इस सीट में दसूरे नम्बर पर अनुसूचित जाति के 50 हजार, तीसरे नम्बर पर पिछड़े वर्ग का 41 हजार, चैथे नम्बर पर 21 हजार पंजाबी, पॉंचवें नम्बर पर 19 हजार, मुस्लिम वोटर हैं। उसके बाद क्षत्रिय 13 हजार, वैष्य 9 हजार, सिंधी 14 हजार, अन्य 12 हजार 3 सौ 42 मतदाता हैं। ऐसे में अखिलेश यादव की नजर कांग्रेस व भाजपा के नेताओं पर टिकी हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कद्दावर नेता को सपा चुनाव के मैदान में उतार सकती है।
समान्य वर्ग को मिल सकता पद
लोकसभा चुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव ने सूबे की कार्यकारणी को भंग कर दिया था। नगर अध्यक्ष मुईन के अलावा अन्य नेताओं को पदों से हटाकर सड़क पर जनता से सीधे संवाद के आदेश दिए गए थे। सपा नेतओं की मानें तो नगर अध्यक्ष की कुर्सी इस दफा समान्य वर्ग के नेता के हाथों में हो सकती है। जिसका एलान जल्द ही सपा प्रमुख कर सकते हैं। वहीं देहात की बागडोर पिछड़ा वर्ग के हाथों में होगी। अखिलेश यादव ज्यादा से ज्यादा समान्य वर्ग के युवाओं को सपा में जोड़ने के दिर्शानिर्देश दिए हुए हैं।