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कानपुर

स्कूलों में गुस्से की इंट्री बंद, खुशमिजाज माहौल में शिक्षक-छात्र सब मुस्कुराएंगे

बच्चों के व्यवहार में आया परिवर्तन माहौल को देगा बेहतर दिशा
घर में भी बच्चों से सीख लेकर माता-पिता का रवैया सही रहेगा

कानपुरDec 29, 2019 / 01:07 pm

आलोक पाण्डेय

स्कूलों में गुस्से की इंट्री बंद, खुशमिजाज माहौल में शिक्षक-छात्र सब मुस्कुराएंगे

स्कूलों में गुस्से की इंट्री बंद, खुशमिजाज माहौल में शिक्षक-छात्र सब मुस्कुराएंगे

कानपुर। स्कूलों में बच्चों के व्यवहार का असर उनकी पढ़ाई के साथ-साथ उनके जीवन पर भी पड़ रहा है। घरेलू कारण या फिर स्कूल के तनाव की वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ रहा है। जिसके चलते बच्चे अक्सर गुस्से में आकर कुछ ऐसा कर जाते हैं कि बाद में उसका खामियाजा या तो उसे ही भुगतना पड़ता है या फिर स्कूल और उसके अविभावक नतीजा झेलते हैं। इसे देखते हुए सीबीएसई ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं कि कम से कम बच्चे स्कूल में तो खुशनुमा माहौल में रह सके।
नो एंग्री जोन बनेंगे स्कूल
सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने अपने संबद्ध विद्यालयों को एक पत्र भेजा है जिसमें ज्वॉयफुल लर्निंग पर जोर देने के साथ कहा है कि स्कूल से जुड़ा हर वर्ग गुस्सा नहीं करेगा। स्कूलों के बाहर साइनबोर्ड लगाए जाएंगे जिसमें लिखा होगा- नो एंगर जोन या एंगर फ्री जोन। नए प्रयासों के तहत अब शिक्षक और छात्र-छात्राएं एक दूसरे से क्रोध नहीं करेंगे और न ही शिक्षक-शिक्षिकाएं बच्चों को आंख दिखाएंगे, बल्कि इन्हें देखकर मुस्कुराएंगे। स्कूल के अंदर सख्त अनुशासन नहीं बल्कि हंसी-खेल और खुशमिजाजी के माहौल में पढ़ाई कराई जाएगी।
यह होगा बदलाव
सीबीएसई का मानना है कि ऐसा करने से काफी सकारात्मक बदलाव आएगा। बच्चों को कुछ इस तरह प्रशिक्षित किया जाएगा कि वह घर में भी अपने मम्मी-डैडी से किसी बात पर न झगड़ें। अभिभावक भी गुस्सा करना छोड़ दें। इससे स्कूल के साथ-साथ घर का माहौल भी बेहतर बनेगा। ज्यादातर घरों में बच्चों के गुस्से से बीपी और सिरदर्द की समस्या रहती है। स्कूल का माहौल अच्छा होने से बच्चों के घर का माहौल भी सुधरेगा।
बच्चों को होगा लाभ
सीबीएसई के मुताबिक खुशनुमा माहौल में बच्चों में पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ हर बात जल्दी सीखते हैं। स्कूल में गुस्सा करना छोड़ेंगे तो घर में भी बड़ों को ऐसा ही सिखाएंगे। भविष्य में बेहतर माहौल मिल सकेगा। बोर्ड की ओर से शिक्षकों और अभिभावकों को सलाह दी गई है कि वह खाली समय में बच्चों को देखें। उनसे हल्के-फुल्के सवाल करें। कुछ ऐसा करें जिससे वह हंसने पर मजबूर हों।

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