जंकफूट के अलावा चिप्स, कुरकुरे, मैगी जैसी चीजों में ऐसे तत्व मिले होते हैं जो उसे और तीखा व चटपटा बनाते हैं। ये तीखे तत्व ही गर्मी में हिस्टमीन नामक केमिकल शरीर में प्रवेश करते हैं। यही केमिकल लाल चकत्तों के जिम्मेदार हैं जिसमें खुजली होती है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष वाजेपई का कहना है कि जो बच्चे अधिक जंकफूड खाते हैं उनके लिए गर्मी में ज्यादा दिक्कत होगी।
ज्यादा चॉकलेट और चिप्स का सेवन करने वालों को गैस्ट्रो और लिवर सम्बंधी दिक्कत हो रही है। बच्चों में भी एसिडिटी की समस्या हो रही है। बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव का कहना है कि इन दिनों जंक फूड से पीडि़त ज्यादा बच्चे अस्पताल आ रहे हैं। उन्हें पेट में दर्द के साथ उल्टी की भी शिकायत है। लिवर में भी समस्या बढ़ रही है।
जंक फूट और फास्ट फूड को मिल रहे बढ़ावे ने यह दिक्कत पैदा कर दी है। बाजार में चाऊमीन, मोमोज, स्प्रिंग रोल व अन्य जंक फूड व फास्टफूड का चलन जोरों पर है। घरों में भी इसे अपनाया जा रहा है। बच्चों को नाश्ते में सब्जी पराठा की जगह पास्ता या मैगी बनाकर दे दिया जाता है। बनने में आसान और स्वाद में बेहतर होने के चलते बच्चों की मांग को घर वाले मना नहीं कर पाते। धीरे-धीरे इससे शरीर में परेशानी होने लगती है।
बाजार में बिकने वाले जंकफूड में घटिया सामग्री का इस्तेमाल होता है। बर्गर, मोमोज और चाऊमीन में ज्यादातर प्रतिबंधित चीजों का इस्तेमाल होता है। खाद्य विभाग की अनदेखी के चलते धड़ल्ले से इनका प्रयोग होता है। सस्ती होने के कारण दुकानदार इनका प्रयोग ही करता है। खाने वालों को इससे कोई मतलब नहीं होता कि इस्तेमाल होने वाली चीज का मानक क्या है, उन्हें तो बस स्वाद चाहिए।