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कानपुर

बसपा का गढ़ माना जाता रहा ये लोकसभा क्षेत्र, इस बीजेपी नेता ने 2014 में भगवा परचम लहराया

यहां से भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेन्द्र सिंह उर्फ़ भोले ने बसपा को 278997 वोटों से हराकर भगवा फहराया था।

कानपुरApr 20, 2019 / 06:05 pm

Arvind Kumar Verma

akbarpur

बसपा का गढ़ माना जाता रहा ये लोकसभा क्षेत्र, इस बीजेपी नेता ने 2014 में भगवा परचम लहराया

कानपुर देहात-उत्तर प्रदेश की अकबरपुर लोकसभा सीट का इतिहास बड़ा पुराना है। मुगलकाल से इस नगर का नाम जुड़ा हुआ है। 2009 में सृजित हुई यह लोकसभा सीट पहले घाटमपुर व बिल्हौर के नाम से जानी जाती थी। बड़ी संख्या में मतदाता इस सीट पर सांसद तय करते थे। बसपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट का भ्रम 2014 के लोकसभा चुनाव टूट गया। जब यहां से भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेन्द्र सिंह उर्फ़ भोले ने बसपा को 278997 वोटों से हराकर भगवा फहराया था। ये जीत इसलिए खास थी क्योंकि अकबरपुर बसपा का गढ़ माना जाता है। वैसे अकबरपुर, कानपुर देहात जिले का मुख्यालय है।
बताते चलें कि अकबरपुर की आबादी करीब 111,594 है और यहां की साक्षरता दर 76.94% है। यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि का काम करता है। अकबरपुर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की पांच सीटें आती है। अकबरपुर-रनियां, बिठूर, कल्याणपुर, महाराजपुर और घाटमपुर आदि विधानसभा के मतदाता यहां के सांसद का भाग्य तय करते हैं। इनमें से घाटमपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। ज्ञात हो कि कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर 1962 में पहली बार आम चुनाव हुआ था। उस वक़्त यह उतर प्रदेश की 27वीं लोकसभा सीट हुआ करती थी और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, पहली बार हुए चुनावों में कांग्रेस के पन्नालाल ने यहां से जीत दर्ज की थी।
1967 के चुनावों में रिपब्लिक पार्टी ऑफ़ इंडिया ने कांग्रेस को यहां हराया था। इसके बाद 1998 में इस सीट से बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भारी जीत दर्ज की थी। वो समाजवादी पार्टी के डॉक्टर लालता प्रसाद को हराकर इस सीट से पहली महिला सांसद के रूप में निर्वाचित हुई थीं। 2002 में हुए उपचुनावों में यह सीट सामान्य श्रेणी के खाते में आ गई, जहां से बसपा के त्रिभुवन दत्त विजयी हुए। इसके बाद साल 2004 में यह सीट एक बार फिर से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई और जिसके बाद मायावती फिर यहां से लोकसभा पहुंचीं, लेकिन साल 2009 में ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और राजाराम पाल सांसद बने। इसके बाद साल 2014 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा किया और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेन्द्र सिंह उर्फ़ भोले सिंह यहां से एमपी बने।

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