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कानपुर

गठबंधन से निपटने के लिए भाजपा ने बनाया ये प्लॉन

सपा और बसपा से निपटने के लिए भाजपा ने तैयार कर ली है रधनीति, 10 लोकसभा सीटों पर कुछ इस तरह से जीत दर्ज करने के लिए संगठन को लगाया।

कानपुरJan 16, 2019 / 02:10 pm

Vinod Nigam

bjp action plan to deal with sp bsp coalition in loksabha election

गठबंधन से निपटने के लिए भाजपा ने बनाया ये प्लॉन

कानपुर। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा और बसपा ने गठबंधन कर यूपी की सियासत गर्म कर दी है। कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों पर कब्जे के लिए दोनों दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। पर भाजपा ने इनसे निपटने के लिए पहले प्लॉन तैयार कर लिया है। फरवरी में भाजपा के राष्ट्रीय अमित शाह के दौरे से पहले इस क्षेत्र की 52 विधानसभा सीटों के 28 विस्तारक, 148 मंडल अध्यक्ष और 20 हजार बूथ प्रमुख गांव-गांव जाकर जमीनी हकीकत की एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। जिसमें वर्तमान सांसदों का कामकाज के अलावा ज्यादा से ज्यादा द लित समाज के युवाओं को पार्टी में शामिल कर रहे हैं। भाजपा कर पूरा फोकस दलित वोटर्स पर है।

इस तरह से खड़ा किया संगठन
2014 के चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में क्षत्रपों के किले ढह गए थे और यहां पर 9 सीटों में कमल खिला था। कन्नौज इकलौती सीट थी, जहां साइकिल जीत पाई थी। सपा व बसपा अपने गढ़ पर कब्जे के लिए रणनीति तैयार कर रही है तो उससे पहले भाजपा ने यहां पर गांव, गली, मोहल्ले, वार्ड तक में अपने कार्यकर्ताओं को बैठा दिया है। भाजपा ने 2019 में पहली बार कानपुर-बुंदेलखंड में अगल-अगल सवर्ण, ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक का संगठन खड़ा किया है। जिसमें अध्यक्ष से लेकर वार्ड स्तर पर पदाधिकारी बनाए गए हैं। चारों मोर्चे हरदिन की रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय भेजते हैं। 10 सीटों की निगरानी अंसलभवन कानपुर से हो रही है।

कुछ इस तरह से जुटी भाजपा
पिछले दिनों आए संगठन मंत्री सुनील बंसल ने 17 जिलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान संगठन मंत्री ने कहा कि 15 जनवरी से सैनिक सम्मान का आयोजन किया जाएगा। इसमें शहीद सैनिकों के घर जाने के साथ पूर्व सैनिकों से कार्यकर्ता संपर्क करेंगे। फिर प्रदेश के करीब तीन करोड़ लाभार्थियों के घर पदाधिकारी जाएंगे। दो मार्च को सभी विधानसभा में कमल संदेश बाइक रैली निकाली जाएगी। पार्टी के पदाधिकारी प्रदेश के प्रबुद्ध वर्ग के बीच सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। युवाओं के बीच यूथ पार्लियामेंट का आयोजन होगा। पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि 11 फरवरी को पार्टी समर्पण दिवस के रूप में मनाएगी।

चारों पर खिला था कमल
बुंदेलखंड में सपा-बसपा की ही वर्चस्व रहा है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में चली मोदी और भाजपा की आंधी ने दोनों दलों के लहराते परचमों को उखाड़ फेंका। बुंदेलखंड की चारों सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी। बांदा-चित्रकूट से भैरो प्रसाद मिश्र, हमीरपुर-महोबा से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, जालौन-उरई से भानु प्रताप सिंह वर्मा और झांसी-ललितपुर से उमा भारती विजयी हुई थीं। बांदा-चित्रकूट में भाजपा ने बसपा के आरके सिंह पटेल को 1,15,788 मतों से हराया था। हमीरपुर-महोबा में भाजपा ने सपा के विशंभर प्रसाद निषाद को 2,65,834 वोटों से पराजित किया था। जालौन-उरई में भाजपा ने बसपा के ब्रजलाल खाबरी को 2,78,202 वोटों से पछाड़ा था। झांसी-ललितपुर में उमा भारती ने सपा के चंद्रपाल को 1,90,467 वोटों से हराया था। भाजपा को कुल 19,19,515 वोट मिले, जबकि बसपा और सपा दोनों को 18 लाख 21 हजार 27 वोट मिले थे।

दोनों के वोटों का ऐसे निकाला तोड़

2014 में मोदी लहर के बावजूद सपा-बसपा 41.80 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही थी। जबकि बीजेपी को 42.30 फीसदी वोट मिले थे। कानपुर-बंदेलखं डमें 12 फीसदी यादव, 22 फीसदी दलित और 18 फीसदी मुस्लिम हैं, जो कुल मिलाकर आबादी का 52 फीसदी हिस्सा है। यूपी के जातीय समीकरण और इतिहास को देखें तो ये जोड़ी बीजेपी और मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है और पीएम के रास्ते का रोड़ा जो कि महागठबंधन से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। ऐसे में भाजपा हाईकमान ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है कि मत प्रतिशत को 50 फीसदी तक ले जाने के लिए यह जरूरी है कि कार्यकर्ता मतदान वाले दिन अपने सभी वोटरों को सुबह तीन घंटे के अंदर 10 बजे तक वोट डलवाएं।

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