ब्लड बैंक प्रशासन का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि ब्लड बैंक खाली हो चुका है। जिससे खून की किल्लत बढ़ गई है। निजी ब्लड बैंकों से भी खून नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में ओ निगेटिव, ए पॉजिटिव, ए निगेटिव, बी पॉजिटिव, बी निगेटिव, एबी पॉजिटिव और निगेटिव खून पूरी तरह खत्म हो चुका है। ऐसे में गुर्दा रोगी खून के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। खून न होने से हैलट में ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। लोगों को निजी अस्पतालों में भागना पड़ रहा है।
खून की किल्लत खड़ी हुई और मरीजों की जान पर संकट आया तो जान बचाने वाले डॉक्टर खून देने से भी पीछे नहीं हटे। डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज में अपना खून दिया। यह जानकारी जब मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं को हुई तो वे भी अपना खून देने के लिए ब्लड बैंक आ पहुंचे। विभिन्न विभागों के शिक्षक भी रक्तदान करने जा पहुंचे। ब्लड बैंक प्रभारी प्रो. लुबना खान ने लोगों से भी रक्तदान में बढ़चढ़कर भाग लेने की अपील की।
रक्तदान करने पहुंची छात्राओं वैशाली सिंह, शैली सोनकर, प्रियंका, नेहा राज को ब्लड बैंक में रक्तदान करने से मना कर दिया गया। उन्हें बताया गया कि उनके शरीर में पहले से ही खून की कमी है, इसलिए वे रक्तदान नहीं कर सकतीं। इस पर छात्राएं नहीं मानीं, बोलीं एक फीसदी ही कम है तो क्या थोड़ा ले लीजिए।
जून महीने की १४ तारीख को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह रक्तदान शिविर भी आयोजित किए जाते हैं। मगर मेडिकल कॉलेज में जून की पहली तारीख को ही यह दिवस शुरू हो गया। यहां बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव, जेके कैंसर रोग संस्थान के डॉ. जीतेंद्र वर्मा, डॉ. डीपी शिवहरे, डॉ. विशाला गुप्ता और डॉ. आनंद गौतम के साथ कई छात्र-छात्राओं ने खून दिया। कुल मिलाकर ५० यूनिट खून पहले दिन ब्लड बैंक को मिला।