जरौली में रहने वाले सिंचाई विभाग कर्मी हरिनारायण कनौजिया के चार बच्चों में तीसरे नंबर का सुशील कनौजिया (16) की बीते एक सप्ताह से स्कूल में सुस्त एक्टीविटी थी। शिक्षकों ने कारण पूछा तो संतोष जनक जवाब नहीं मिला। करीब दो दिन पहले उसे हिंदी के शिक्षक बृजेश कुमार ने सुसाइड नोट लिखते हुए पकड़ा। पूछताछ की गई तो पता चला कि वह जानलेवा ब्लू व्हेल गेम खेल रहा था। जिसमें उसको पहला टास्क हाथ में कट करके व्हेल मछली बनाने के साथ घर छोड़कर भागने और सुसाइड करना बताया गया था। उप प्रधानाचार्य एलबी सचान ने बताया कि जानकारी होते ही उन्होंने परिजनों को बुलाकर छात्र की हरकत के बारे में जानकारी दी। इसके बाद परिजन उसे घर ले गये।
तो काट लेता हाथ की नस
सुशील ने बताया कि क्लास में पढ़ने वाले उत्कर्ष ने इसके गेम के बारे में उसे जानकारी दी थी। बताया कि उसके टीचर अतुल घर में ट्यूशन पढ़ाने के लिए आते और यहीं सोते थे। सवाल हल करने के बहाने से मैने अतुल का मोबाइल लिया था। जिस पर उत्कर्ष के बताये लिंक को सर्च करके गेम के बारे में पहले पढ़ा फिर पहली स्टेज खेली। गेम खेलने के दौरान उसे अजीब से जुनून चढ़ गया था। सब कुछ अजीब सा लग रहा था। वह अगली स्टेज का कोड पाने के लिए वीडियो देखकर हाथ में कट लगाने थे। काफी तलाशने के बाद उसे ब्लेड या सुई देर रात दो बजे नहीं मिली। जिससे उसने स्केचपेन से हाथ पर वीडियो देखकर कट लगाये। कट लगाने के बाद जो डिजाइन बना वह व्हेल मछली का था। सुशील का कहना था कि अगर ब्लेड मिल जाता तो काट डालता हाथ।
सूचना शिक्षा विभाग तक पहुंची तो अधिकारियों के कान खड़े हो गए। डीआईओएस सतीश तिवारी के मुताबिक, सारे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को लेटर भेज स्कूल में बच्चों के मोबाइल लाने पर पाबंदी लगा दी गई है। मैनेजमेंट से कहा गया है कि वे टीचर्स को आगाह करें कि बच्चों के बर्ताव पर नजर रखें। कोई बच्चा उदास दिखे तो उस पर खास ध्यान दिया जाए। पैरंट्स को भी बुलाकर वजह जानी जाए। उन्हें भी ब्लू वेल गेम के खतरों के प्रति सतर्क किया जाए। इसके साथ ही मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के काउंसलर को कहा गया है कि वे स्कूलों में जाकर बच्चों को गेम के खतरों के बारे में बताएं। गेम से पीड़ित कोई बच्चा आए तो तुरंत उसकी counselling करें।