महाराजपुर से लड़ चुकी हंै विधायक का चुनाव महापौर पद की आरक्षण सूची जारी होते ही नगर निगम चुनाव का बिगुल बज गया है। राजनीतिक दलों में चुनावी हलचल तेज हो गई है। चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे चेहरों के बीच जोर अजमाइश के दौर भी शुरू हो गए हैं। टिकट को लेकर सत्तारूण भाजपा ज्यादा दबाव में है। कई दवोदारों के बीच जिताऊ चेहरे की तलाश के साथ सीट बचाने के लिए जद्दोजहद शुरू कर दी है। इसी के चलते बसपा ने इसबार के निकाय चुनाव को पूरी ताकत से लडऩे का मन बना लिया है और जिताऊ कैंडीडेट को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। कानपुर नगर के मेयर पद के लिए वैसे कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन पूर्व मंत्री अंटू मिश्रा की पत्नी शिखा मिश्रा को बसपा का सिंबल मिलने की बात भी सामने निकल कर आ रही है। बसपा के जिलाध्यक्ष संजय गौतम कहते हैं कि पार्टी हाईकमान जिसे टिकट देंगी, उसे हम लोग जिताने के लिए जुट जाएंगे। शिखा मिश्रा पार्टी की जुझारू कार्यकर्ता हैं और अगर उन्हें टिकट मिलता है तो अन्य दावेदार अपने उनके पक्ष में खड़ नजर आएंगे।
सतीश मिश्रा की भांजी हैं शिखा मिश्रा बसपा ने नंबर की दो की हैसियत रखने वाले पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की शिखा मिश्रा भांजी हैं और उन्हें पार्टी ने महाराजपुर से विधानसभा का चुनाव लड़वाया था, लेकिन वो चुनाव हार गई थीं। वो बसपा की सक्रिय कार्यकर्ता भी हैं। साथ ही ब्राह्मण बाहूल्य सीट होने के चलते पार्टी इन पर दांव लगाने पर विचार कर सकती है। अंटू मिश्रा ने बताया कि अभी तक हमें ऐसी जानकारी मिली है, अगर शिखा को पार्टी टिकट देती है तो वो चुनाव जीतकर भाजपा की चौथी जीत पर ब्र्रेक लगाएंगी। वहीं राजनीति के जानकारों की मानें तो शिखा मिश्रा के चुनाव में उतरने से सपा और कांग्रेस अपने कैंडीडेट नहीं उतारेंगे और बसपा प्रत्याशी को बाहर से समर्थन दे सकते हैं। क्योंकि सपा और कांग्रेस के पास भाजपा को टक्कर देने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है।
दावेदारों ने संघ की तरफ बढ़ाए कदम बसपा के प्लानिंग के चलते भाजपा और संघ के नेता भी हरकत में आ गए हैं और जिताऊ प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी है। संघ ने भी महौपौर पद के लिए सिंगल नाम पर मुहर लगा पैरोकारी की है, जबकि संगठन से चार महिला कार्यकर्ताओं ने जिला और क्षेत्र कमेटी के समक्ष महापौर का चुनाव लडऩे की बात रखी है। पदाधिकारियों ने सभी से आवेदन करने को कहा है। पर संघ की पैरोकारी की वजह से संगठन का हर दावेदार अपने को कमजोर मान रहा है। पर दावेदार प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व से टिकट के लिए तिकड़म लगाने को सक्रिय हो गया है। टिकट के लिए जोर आजमाइश में संगठन के चारों महिला कार्यकर्ताओं ने भी संघ का दामन थामने का रास्ता ढूंढ रही हैं। पार्टी ऑफिस में मौजूद संगठन में चार दावेदारों में से दो ने दबी जुवान स्वीकारा भी कहा कि नेतृत्व जो फैसला करेगा, उसे माना ही नहीं जाएगा।
कुछ इस तरह से बोले जिम्मेदार भाजपा नगर अध्यक्ष ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त बसपा पूरी तरह से साफ हो चुकी है और उसका जनाधार नहीं बचा। भाजपा ईमानदार छविवाली महिला को टिकट देगा। पार्टी ने ये तय किया है की मंत्री, विधायक, पार्षद व संगठन से जुड़े किसी भी नेता के परिजनों को टिकट नहीं दिया जाएगा। टिकट वही पाएगा, जो पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में जुड़ा हो। सपा नगर अध्यक्ष फजल महमूद ने कहा कि पार्टी सभी वार्डो में अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। महापौर के पद के लिए योग्य उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा। बसपा या अन्य दल के साथ गठबंधन पर जो आदेश राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिलेश यादव देंगे, उसे माना जाएगा। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरिप्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि 2012 के चुनाव में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी, इसी के चलते हम जमीनी नेता को टिकट देंगे। रही बात बसपा को सर्पोअ करने की तो ये मामला हाईकमान का है, जो निर्णय वो लेंगे, दल उसी के अनुसार आगे बढ़ेगा।