२० जनवरी १९९७ को नजीराबाद पुलिस ने लाजपतनगर निवासी जयप्रकाश उर्फ निक्कू को ८० फीट रोड पेट्रोल पंप के पास ५० ग्राम चरस और एक करौली के साथ पकड़ा था। उसे एनडीपीएस और आम्र्स एक्ट के तहत जेल भेज दिया गया। जमानत पर बाहर आने के बाद निक्कू खुद के निर्दोष साबित करने की कोशिश में जुट गया।
नजीराबाद पुलिस ने दायर चार्जशीट में हृदयराम, हेड कांस्टेबल रमेश सिंह, एसआई आरएस भारती, एसएसआई नरेंद्र पाल सिंह, एसआई एमपी वर्मा को गवाह बनाया था। ये सभी पुलिस के गवाह थे। मगर कोई भी आरोपी के खिलाफ गवाही देने नहीं आया। पुलिस सबको सम्मन भेजती रही पर कोई हाजिर नहीं हुआ।
जब गवाह हाजिर नहीं हुए तो कोर्ट विटनेस के रूप में हेड कांस्टेबल शिव कुमार की गवाही हुई। उसने बताया कि वह सभी गवाहों के पते पर समन ले गया था पर किसी का भी कोई पता नहीं चला। दर्ज पते पर कोई मिला ही नहीं और उनका दूसरा कोई पता दर्ज नहीं था।
२२ वर्षों तक कोर्ट तारीखें आगे बढ़ाती रही और गवाहों का इंतजार करती रही। पर गवाहों के न मिलने पर सीएमएस कोर्ट ने इसे अभियोजन पक्ष की लापरवाही बताया और मुकदमे का निर्णय निक्कू के पक्ष में सुना दिया। निक्कू ने भी इससे पहले कोर्ट से गुहार लगाई थी कि २२ सालों से वह कोर्ट के चक्कर काटकर थक गया है, उसका दोष साबित नहीं हो पाया है, इसलिए उसे दोषमुक्त किया जाए।