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कानपुर

बच्चे में ये लक्षण दिखें तो समझें ‘चमकी बुखार’

बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि समय पर इलाज मिलने से बीमारी हो सकती है ठीक, बताए लक्षण और सतर्क रहनें की दी सलाह।

कानपुरJun 17, 2019 / 06:45 pm

Vinod Nigam

chamki fever spread in bihar know about symptom and cure insefliti

बच्चे में ये लक्षण दिखें तो समझें ‘चमकी बुखार’

कानपुर। बिहार में चमकी बुखार बुखार ने कहर ढाया हुआ है और करीब सौ से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। हैलट में चार बच्चे दिमागी बुखार से ग्रसित थे, जिन्हें इलाज के बाद घर भेज दिया गया हैं। शहर के सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में अभी किसी मरीज के भर्ती होने की पुष्टि नहीं हुई। फिलहाल डॉक्टर अलर्ट पर हैं। बच्चों के डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार, दिमागी बुखार, जापानी इंसेफलाइटिस, नवकी बीमारी) एक गंभीर बीमारी है। इसका समय रहते इलाज होना चाहिए। यह बीमारी अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलता है। 1 से 15 साल की उम्र के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

चमकी बुखार के लक्षण
डॉक्टर विनीत अग्रवाल के मुताबिक तेज बुखार आना, चमकी अथवा पूरे शरीर या किसी खास अंग में ऐंठन होना, दांत पर दांत लगना, बच्चे का सुस्ता होना, बेहोश होना व चिउंटी काटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होना, चमकी बीमारी के लक्षण हैं। यदि किसी बच्चे को ऐसे लक्षण दिखें तो तत्काल उन्हें डॉक्टर के पास लेकर जाएं और जांच के बाद इलाज करवाएं। समय पर इलाज नहीं मिलनें से ये बीमारी जानलेवा हो सकती है।

पारासिटामोल की गोली खिलाएं
डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार कम हो सके। बच्चे के शरीर से कपड़ें हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें। पारासिटामोल की गोली व अन्य सीरप डॉक्टर की सलाह के बाद ही दें। अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। बच्चों को लगातार ओआरएस का धोल पिलाते रहें। तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी से ढंके। बेहोशी व मिर्गी आने की अवस्था में मरीज को हवादार स्थान पर लिटाएं।

भरपेट भोजन खिलाएं
डॉक्टर अग्रवाल के मुताबिक, चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर ले जाएं। बच्चे को कंबल अथवा गर्म कपड़ों में न लपेटें, बच्चे की नाक न बंद करें। बच्चे की गर्दन झुकाकर न रखें। मरीज के बिस्तर पर न बैठे साथ ही ध्यान रखें की मरीज के पास शोरगुल न हो। इसके अलावा बच्चे को धूप में जाने से बचाएं। बच्चा तेज धूप के संपर्क में न आने पाए। बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं। .रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं।

समय से इलाज पर ठीक हो जाता मरीज
हैलट और उर्सला में शनिवार को चार-चार बच्चे दिमागी बुखर से ग्रसित बच्चे इलाज के लिए आए। डॉक्टरों ने इलाज कर उन्हें टीक कर दिया। डॉक्टर विनीज अग्रवाल के मुताबिक शुरूआती लक्षण दिखते ही मरीज समय पर इलाज मिल जाए तो वो दो दिन के अंदर ठीक हो जाता है। गामीण क्षेत्रों में लोग बच्चों की बिमारी को नजरअंदाज कर छोलाछाप व अन्य तरीके से इलाज करवाते हैं। जब बीमारी बड़ जाती है तो उसे शहर लेकर आते हैं। ऐसे में हमारी लोगों से सलाह है कि गर्मी के बाद बारिश होने पर बच्चों को कई प्रकार की बीमारी हो सकती हैं। उन्हें साफ-सुथरा रखें और अच्छा भोजन दें।

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