हैलट अस्पताल में 40 दिन से थायराइड, महत्वपूर्ण विटामिंस की जांचें ठप पड़ी हैं। हैलट के मरीजों को बाहर जांच के लिए जाना पड़ता है। जो जांच 100 रुपए में मेडिकल कॉलेज में हो जाती थी उन जांचों के लिए मरीजों को एक हजार और दो हजार रुपए अदा करने होते हैं। कुछ प्रोफाइल जांचें तो 12 हजार से अधिक में हो रही है। मरीज परेशान है। मगर अस्पताल या मेडिकल कॉलेज की ओर से कोई पहल नहीं हो रही है। कागजों पर आदेश निदेश जारी हो रहे।
प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी ने एक महिला शिक्षक को बायोकमेस्ट्री विभाग में जांच के लिए नोडल अधिकारी बना दिया और जांच मशीन पैथोलॉजी में शिफ्ट करने के निर्देश जारी कर दिए। इसके लिए 24 घंटे पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. महेन्द्र सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर अभी तक मेडिकल कॉलेज से पैथोलॉजी में जांच मशीन शिफ्ट नहीं हो पाई। प्राचार्य प्रो.आरती लाल चंदानी का कहना है कि जांचों को हैलट में शिफ्ट करने का उद्देश्य मरीजों को एक ही छत के नीचे लाभ देना था। जांचें ठप है यह पता चला है। अभी तक मशीन शिफ्ट नहीं हुई यह गम्भीर बात है। पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष से जानकारी ली जा रही है कि अभी तक शिफ्टिंग क्यों नहीं हो पाई?
मशीन शिफ्ट न होने के पीछे विभागाध्यक्ष अपना-अपना तर्क दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि मशीन काफी संवेदनशील है और उसे रखने के लिए विशेष तरह की केबिन चाहिए। दूसरी ओर अनुरक्षण देख रही कंपनी ने साधारण कमरे में मशीन लगाने से मना कर दिया। जबकि नए रूम के लिए बजट नहीं है। इसलिए विभागाध्यक्ष इसे टाल रहे है। उधर एक सीनियर प्रोफेसर का कहना है कि पूर्व में विभाग में ही जांचें ठीक चल रही हैं। अनावश्यक उसे हैलट में शिफ्ट करने की बात शुरू हो गई। इस मामले में पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
जो प्रमुख जांचें ठप पड़ी हैं उनमें थायराइड की पूरी सीरीज, थायराइड प्रोफाइल, प्रोजेस्ट्रान, प्रोलैक्टिन, बीटा-एचसीजी, विटामिन-बी-12, विटामिन-डी, फोलेट, कार्टिसाल, टेस्टोस्ट्रान आदि शामिल हैं। ऐसे में उन मरीजों को खासी दिक्कत हो रही है जिन मरीजों का ऑपरेशन होना है और वह भर्ती हैं। बाहर से जांच कराएं तो महंगी है दूसरे ऑपरेशन के समय डॉक्टर प्राइवेट जांचों पर अकेले भरोसा नहीं करते हैं। वह क्रॉस चेक करते हैं। मरीजों को कुछ जांचें दूसरे लैब से करानी पड़ती हैं। इससे मरीजों को डबल खर्च पड़ रहा है।