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कानपुर

एंटीबायोटिक खाकर ताकतवर हुआ यह बैक्टीरिया, इन बीमारियों को देता बढ़ावा

ज्यादा एंटीबायोटिक खाने और बीच में कोर्स अधूरा छोडऩे वाले मरीजों में पाया गयाबढ़ी डॉक्टरों की चिंता, बैक्टीरिया को मारने के लिए नई एंटीबायोटिक बनाने की तैयारी

कानपुरFeb 13, 2020 / 03:47 pm

आलोक पाण्डेय

एंटीबायोटिक खाकर ताकतवर हुआ यह बैक्टीरिया, इन बीमारियों को देता बढ़ावा

एंटीबायोटिक खाकर ताकतवर हुआ यह बैक्टीरिया, इन बीमारियों को देता बढ़ावा

कानपुर। जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक का सेवन करने वाले मरीजों में एक बैक्टीरिया इतना ताकतवर हो गया है कि उसे मारने वाला कोई भी एंटीबायोटिक अब बाजार में नहीं है। यह बैक्टीरिया एंटीबायोटिक पर हावी हो चुका है। डॉक्टरों को पहली बार सेंसिटिविटी टेस्ट में एक बैक्टीरिया ऐसा मिला है, जिस पर किसी एंटीबायोटिक का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसे लेकर डॉक्टरों की चिंता बढ़ गई है और अब ऐसे एंटीबायोटिक को तैयार किया जा रहा है जो इस बैक्टीरिया को खत्म कर सके। लेकिन तब तक उन मरीजों को ज्यादा खतरा है, जिनमें यह बैक्टीरिया पनप चुका है।
यह बैक्टीरिया हुआ ताकतवर
इन बैक्टीरिया का नाम है ग्राम पॉजिटिव और ग्राम निगेटिव। इस बैक्टीरिया की एंटी बायोटिक संवेदनशीलता की जांच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग कर रहा है। जिसमें पता चला है कि इस बैक्टीरिया ने अंतिम ड्रग मानी जानी वाली कोलेस्टीन और बैंको माइसिन को भी पछाड़ दिया है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) का एंटी माइक्रोब्रियल रिसेस्टेंस सर्विलांस प्रोजेक्ट माइक्रोबायोलॉजी विभाग में चल रहा है। इसके तहत रोगियों की जांच करके यह देखा जाता है कि एंटी बायोटिक के प्रति बैक्टीरिया में कितनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है।
इन बीमारियों को देता बढ़ावा
ग्राम निगेटिव और पॉजिटिव श्रेणी के बैक्टीरिया से त्वचा, पेट, मूत्र समेत अन्य संक्रमण और बीमारियां होती हैं। ये ऐसी बीमारियां हैं जिनसे आज के दौर में हर तीसरा व्यक्ति पीडि़त है। ऐसे में भारी संख्या में ऐसे मरीज मिल सकते हैं, जिनमें ज्यादा एंटीबायोटिक के सेवन की वजह से यह बैक्टीरिया जीवित हो। इस बैक्टीरिया को खत्म करने वाला अब कोई एंटीबायोटिक नहीं है। यह स्थिति परेशान करने वाली है। इस बैक्टीरिया का संक्रमण अस्पताल और आम गंदगी से हो सकता है।
ज्यादा एंटीबायोटिक खतरनाक
मरीजों को लगभग हर बीमारी में दवा के साथ एंटीबायोटिक जरूर दी जाती है। यह एंटीबायोटिक एक तरह से दवा का काम आसान करती है और मर्ज को बढऩे से रोकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिस मर्ज की दवा मरीज लेता है, एंटीबायोटिक उस मर्ज के प्रति शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। मगर डॉक्टर दवा के साथ उतनी मात्रा वाली ही एंटीबायोटिक लिखते हैं जितना जरूरी होता है। मगर अक्सर मरीज मर्ज को जल्द ठीक करने के लिए जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक का सेवन करने लगता है। यह स्थिति खतरनाक हो जाती है।
यह आदत दे रही बैक्टीरिया को बढ़ावा
अक्सर बीमार पडऩे पर मरीज अपने स्तर से दवाएं मेडिकल स्टोर से खरीद कर खा लेता है, या फिर मेडिकल स्टोर वाले को बीमारी बताकर दवा ले लेता है। मरीजों को जुकाम, डायरिया सरीखे वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक खाने की आदत होती है। वे डॉक्टर के पास जाने से परहेज करते हैं, जबकि मेडिकल स्टोर वाला कोई डॉक्टर नहीं होता, इसलिए उसे एंटीबायोटिक की सही मात्रा का ज्ञान नहीं होता है। इसके अलावा कई मरीज एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा किए बिना बीच में छोड़ देते हैं। यह स्थिति भी बैक्टीरिया के लिए सहज हो जाती है।

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