पब्लिक स्कूल चाहे सीबीएसई या सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध हो, पर स्थापना से पहले उसे शपथ पत्र देना होता है कि स्कूल में राज्य सरकार के तय सारे मानक पूरे हैं। इसकी जांच के लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को जिम्मेदारी दी गई है और एनओसी कमिश्नर स्तर से जारी होती है, इसके बाद ही पब्लिक स्कूल चालू किया जा सकता है।
स्कूल खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का अधिकार जिला विद्यालय निरीक्षक को दिया गया है। राज्य सरकार के नियमों की पड़ताल और मानकों की पूरी जांच जिला विद्यालय निरीक्षक के स्तर पर होगी। अगर मानकों का उल्लंघन पाया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी डीआईओएस पर होगी।
पब्लिक स्कूलों पर डीआईओएस का अंकुश लगने से इसमें सुधार दिखेगा। पहले निगरानी इतने बड़े स्तर पर थी कि कुछ भी नियमित नहीं था और पब्लिक स्कूल मनमानी करते थे पर अब ऐसा नहीं होगा। मान्यता से लेकर फीस तक सब कुछ डीआईओएस की निगरानी में होगा।
अगर स्कूल चालू होने के बाद भी कभी निरीक्षण के दौरान डीआईओएस को मानकों का उल्लंघन मिलता है तो उन्हें यह अधिकार है कि वे एनओसी वापस लेकर स्कूल की मान्यता खत्म कर सकें। इससे पब्लिक स्कूलों को हमेशा मान्यता खोने का डर रहेगा और वे मानकों पर भी ध्यान देंगे।