कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट की दस्तक को लेकर प्रदेश में सतर्कता बढ़ा दी गई है। कोरोना संक्रमित ऐसे केस जिनकी सीटी वैल्यू 30 से कम है, ऐसे सभी सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराने का निर्देश है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलाजी विभाग की लैब से एक सप्ताह पहले 12 सैंपल दिल्ली भेजे गए थे। इन सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट आने का इंतजार है।
माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा का कहना है कि कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरिएंट रिसेप्टर्स की मदद से अच्छी बांडिंग बनाकर फेफड़े की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करता है। कोरोना के इलाज वाली दवा डेल्टा प्लस वैरिएंट पर बेअसर हो रही है। हालांकि इसके केस बहुत कम रिपोर्ट हुए हैं, इसलिए फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। अभी तक के उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक वायरस का नया रूप कोरोना की वैक्सीन से बनी एंटीबाडी को भी चकमा दे रहा है। देखा गया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बनी एंटीबाडी भी वायरस का संक्रमण होने पर पांच गुना तक कम हो जाती है।
जीएसवीएम की कोविड-19 लैब के नोडल अफसर डॉ. प्रशांत त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने चिंता बढ़ाई है। वायरस का नया रूप शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली को चकमा देने में कामयाब हो रहा है। वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट का पता लगाने के लिए 30 से अधिक सीटी वैल्यू वाले सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नई दिल्ली भेजे जा रहे हैं। वायरस के नए रूप की गंभीरता कम करने का एक मात्र उपाय वैक्सीनेशन है।