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कानपुर

स्वाद के साथ अब खून भी बढ़ाएगी यह मिर्च, सीएसए ने तैयार की खास प्रजाति की फसल

पूरी तरह रसायन मुक्त फसल में भरपूर हैं विटामिन, फाइबर और बीटा कैरोटीनपॉलीहाउस में उगाई गई इस फसल में एक पौधा देता है १० से ११ फल

कानपुरFeb 22, 2020 / 02:34 pm

आलोक पाण्डेय

स्वाद के साथ अब खून भी बढ़ाएगी यह मिर्च, सीएसए ने तैयार की खास प्रजाति की फसल

स्वाद के साथ अब खून भी बढ़ाएगी यह मिर्च, सीएसए ने तैयार की खास प्रजाति की फसल

कानपुर। आमतौर पर फास्टफूड और नूडल्स सेहत के लिए लाभदायक नहीं होते, लेकिन इनमें इस्तेमाल होने वाली यह हरी सब्जी अब आपकी सेहत का ख्याल रखेगी। यह है पहाड़ी शिमला मिर्च। इसे कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। उनका दावा है कि आमतौर पर सजावट और स्वाद के लिए इस्तेमाल होने वाली यह हरी सब्जी अब गुणों से भरपूर भी होगी।
दूर करेगी एनीमिया
नूडल्स और सलाद में ज्यादातर इस्तेमाल होने वाली शिमला मिर्च अब एनीमिया दूर करने का प्रमुख स्रोत बनेगी। सीएसए के वैज्ञानिकों ने सेहतमंद गुणों से भरपूर शिमला मिर्च तैयार की है। इसे वातानुकूलित पॉलीहाउस में उगाया गया। सीएसए में तैयार यह फसल पूरी तरह से केमिकल मुक्त है। इसमें विटामिन, फाइबर और बीटा कैरोटीन भरपूर हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका पौधा सामान्य पौधों से बड़ा और 10-11 फल लगते हैं।
300 ग्राम वजन का फल
शिमला मिर्च का वजन अधिकतम १५० से 190 ग्राम तक मिलता है, लेकिन सीएसए में तैयार की गई नई प्रजाति की एक मिर्च लगभग 300 ग्राम की है। यह वजन और भी बढ़ सकता है। सब्जी विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी सिंह और वैज्ञानिक डॉ. राजीव के मुताबिक शिमला मिर्च की यह प्रजाति पहाड़ों पर पैदा होती है मगर पॉलीहाउस तकनीक से इसका बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। फल गूदेदार, मोटा, घण्टीनुमा होता है जिसमें उभार कम है। इसके साथ ही तीखापन भी सामान्य की अपेक्षा कम या नहीं के बराबर है। किसानों को इसका डेमो दिखाया जाएगा ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके।
जैविक ट्रीटमेंट से उगाई फसल
वैज्ञानिक डॉ. राजीव के मुताबिक अभी यह जांच नहीं की गई है कि सामान्य की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा इसमें कितनी बढ़ी है। मगर यह तय है कि समान्य की अपेक्षा अधिक है। क्योंकि इस शिमला मिर्च में पोषक तत्वों को बढ़ाने के लिए जैविक खनिज तत्वों का छिडक़ाव किया गया है ताकि बोरान, आयरन और जिंक की मात्रा फल में बढ़ाई जा सके। दो क्यारियों में इसे लगाया गया है जबकि आमतौर पर यह फसल तीन क्यारियों में लगाई जाती है। शिमला मिर्च के बीजों की बुआई करने से पूर्व जैविक ट्रीटमेंट दिया गया है।

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