क्राइम ब्रांच की साइबर सेल में एक महीने के दौरान एनी डेस्क एप के जरिए ठगी के 72 से अधिक मामले पहुंच चुके हैं। साइबर सेल के एक्सपर्ट ने बताया कि साइबर ठगों ने इन सभी मामलों में एक ही तरीका अपनाया है। वे अपने टारगेट को विश्वास में लेकर फोन में गूगल प्ले स्टोर से एनी डेस्क एप डाउनलोड कराते हैं। इस पर 9 अंकों का एक कोड जेनरेट होता है, जो ठग पूछ लेते हैं। यह कोड ठग अपने मोबाइल फोन में फीड करता है तो पीडि़त के मोबाइल या कंप्यूटर का कंट्रोल उसके पास चला जाता है। वह उसे एक्सेस करने की अनुमति भी पीडि़त से ले लेता है। इसके बाद फोन या कंप्यूटर का सभी डाटा चुरा लेता है। अब अगर आपके मोबाइल पर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) एप है तो खाते की पूरी रकम उड़ा लेगा।
क्राइम ब्रांच ने लोगों को अलर्ट किया है कि अपना किसी भी प्रकार का ओटीपी किसी से भी साझा न करें। एनी डेस्क के माध्यम से ठगी के मामलों में देखने को आया है कि पीडि़त ने ऑनलाइन शॉपिंग, मूवी टिकट समेत अन्य खरीदारी के लिए गूगल से किसी कंपनी के प्रतिनिधि का नंबर निकाला, लेकिन यह नामी वेबसाइट से मिलती जुलती फर्जी वेबसाइट पर साइबर ठग का नंबर था। इसके बाद साइबर ठग ने कंपनी का प्रतिनिधि बनकर झांसे में लिया और खाते से संबंधित जानकारी हासिल करने के बाद अकाउंट से पूरी रकम उड़ा दी।
एक व्यक्ति को बिग बाजार से फल की टोकरी खरीदनी थी। उसने गूगल से बिग बाजार का एक नंबर निकाला। दिए गए नंबर पर फोन करने पर बात कर रहे साइबर ठग ने खुद को बताया कि वह बिग बाजार से बोल रहा है। इसके बाद कहा कि एनी डेस्क एप डाउनलोड करने के बाद ही खरीदारी कर सकेंगे। एप डाउनलोड कराने के बाद ओटीपी पूछा और आईसीआईसीआई बैंक का यूपीआई एप हैक करके खाते से 12,200 रुपए उड़ा दिया। साइबर सेल में मामला दर्ज कराया है।
एक छात्र ने गूगल पे के कस्टमर केयर पर यूपीआई पिन रिसेट के लिए कॉल किया था। बात कर रहे साइबर ठग ने एनी डेस्क एप डाउनलोड करने को कहा। इसके बाद उसने ओटीपी पूछा और मेरे मोबाइल को हैक कर लिया। इसके बाद मेरे खाते से पूरी रकम 19 हजार रुपए उड़ा दी। छात्र अनुज ने बैंक से एटीएम ब्लॉक कराने के साथ ही एप को अनस्टॉल कर दिया। इसके बाद साइबर सेल में मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई है। चकेरी पुलिस मामले की रिपोर्ट नहीं दर्ज कर रही है।