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कानपुर

फूलन के बाद नीलम ने बदला चोला, निर्भय की क्वीन ने बुलैट छोड़ बैलेट को थामा

नीलम इटावा नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए लोगों से वोट मांग रही हैं।

कानपुरNov 10, 2017 / 06:07 pm

Ashish Pandey

neelam gupta

neelam gupta

कानपुर. चुनाव की आहट मिलते ही बीहड़-पाठा के जंगलों के गब्बर एक्टिव हो जाते थे और इनके बूंटों की आहट से आसपास के सैकड़ों गांव कांप जाया करते थे। डकैत बुलेट की दम पर बैलेट का जमकर इस्तमाल कर अपने करीबियों की मदद कर उन्हें चुनाव जितवाते थे। लेकिन वक्त ने करवट बदला और डकैतों के खात्में के लिए जंगल में एसटीएफ उतरी। एक-एक कर कई इनामी डकैत इनकाउंटर में मारे गए। इन्हीं में से एक निर्भय गूर्जर था, जिसकी दहाड य़मुना-चंबल और गंगा के तट पर स्थित जंगलों में सुनाई पढ़ती थी। निर्भय का दखल पंचायत से लेकर लोकसभा चुनावों में सीधे रहता था और कानपुर नगर, देहात, इटावा, कालपी के दर्जनों गांव में इसकी तूती बोलती थी। इसके फरमान के खिलाफ जो भी आवाज उठाता उसकी आंख फोड़ दी जाती थीं। इसी के गैंग में रही नीलम गुप्ता ने अपनी सजा पूरी करने के बाद राजनीति में कदम रखा है। नीलम इटावा नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए लोगों से वोट मांग रही हैं। इसके पहले बीहड़ से राजनीति में प्रवेश करने वाली दस्यू सुंदरी फूलन देवी थीं और दोनों की कहानी भी एक है।
कौन है नीलम गुप्ता
नीलम गुप्ता बीहड़ के पांच लाख के इनामी रहे डकैत निर्भय गुर्जर की पत्नी थी। निर्भय ने एक दशक तक बीहड़ और यमुना पट्टी के जंगलों में राज किया। इसके नाम से पब्लिक के साथ पुलिस भी कांपती थी। निर्भय के रिश्ते समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर नेता से थे और चुनाव के वक्त डकैत साइकिल के लिए प्रचार किया करता था। 2007 विधानसभा चुनाव से पहले निर्भय ने खुली सभा में सपा के नेता का नाम ले लिया और यहीं से उसके मौत का काउन-डाउन शुरू हो गया। एसटीएफ ने निर्भय को मुठभेड़ में मार गिराया, लेकिन मौत से पहले निर्भय ने एक दशक तक जंगल में राज किया। जिसे चाहा उठवा लिया और जिसे चाहा मौत के घाट उतार दिया। निर्भय ने नीलम का आपहरण फिरौती के लिए किया था, लेकिन जब परिजन उसकी मांगी रकम नहीं दे पाए तो डकैत ने नाबालिग के साथ सात फेरे लेकर अपनी पत्नी बना लिया।
12 साल की उम्र में किया था अपहरण
नीलम ने बताया कि जब उसकी उम्र महज बारह साल की थी, तब निर्भय गांव आ धमका और मेरा अपहरण कर ले गया। उस समय मैं क्लास छह की स्टूडेंट थी। निर्भय ने मेरे परिजनों से फिरौती के नाम पर एक लाख रुपए मांगे, पर इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था किसान पिता नहीं कर पाया। गुस्साए निर्भय ने मुझे डकैत बनाने का ठान ली। उसने मुझे जबरन हथियार चलाना सिखाया और फिर अपने गुर्गों के साथ अपराध के लिए भेजने लगा। नीलम ने बताया कि सितंबर 2004 में निर्भय शराब के नशे में था और उसने मेरे साथ रेप कर डाला, जिसका विरोध गैंग के सदस्यों ने किया तो उसने मेरे साथ एक मंदिर में शादी कर ली। निर्भय इतना खतरनाक था कि जो भी उसकी बात नहीं मानता तो वो उसे तड़पा-तड़पा कर मौत के घाट उतार देता था।
दत्तक पुत्र के साथ किया था सरेंडर
नीलम बताती है कि निर्भय ने श्याम जाटव का भी अपरहरण किया और परिजनों द्वारा पैसा नहीं देने पर उसे भी डकैत बना दिया। निर्भय ने उसे अपना दत्तक पुत्र बना लिया और गैंग में उसे दो नंबर की पोजीशन दी गई। इसी दौरान श्याम जाटव से मेरी दोस्ती हो गई और हमने निर्भय के चंगुल से भागने के लिए प्लॉनिंग शुरू कर दी। नीलम ने बताया कि बीहड़ में जबरदस्त गर्मी थी। निर्भय जंगल से अपने किसी करीबी से मिलने के लिए गया हुआ था। रात में उसके गैंग के अन्य साथी नशे में धूत थे और इसी का फाएदा उठाते हुए हम वहां से भाग निकले। पूरी जंगल की खाक छानने के बाद हम एक गांव में पहुंचे और वहीं से ग्रामीणों की मदद से 31 जुलाई 2004 को इटावा की एंटी डकैती कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।
12 साल तक जेल में रही नीलम
नीलम के सरेंडर करने के बाद कोर्ट ने उसे और श्यम को इटावा जेल भेज दिया। यहां कुछ माह रहने के बाद नीलम को लखनऊ की नारी बंदी गृह भेज दिया। 2004 से लेकर 2016 तक नीलम जेल में रही और इस दौरान उसने बुराई को त्याग कर अच्छाई की तरफ बढऩे का संकल्प लिया। नीलम ने कहा, जेल से आने के बाद समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे के लिए नगर पालिका चुनाव में नामांकन कर चुनाव लडऩे का मन बना लिया। उन्होंने कहा कि इटावा की जनता अगर उन्हें मौका देती है तो वह महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगी और नगर में विकास को महत्व देते हुए पिछले चेयरमेन से ज्यादा विकास करके दिखाएंगी।
निर्भय की चौथी पत्नी थी नीलम
डकैत निर्भय ने अपनी बेटी की उम्र की किशोरी के साथ विवाह कर इंसानियत को शर्मसार कर दिया था। नीलम ने बताया कि 26 जनवरी 2004 को नीलम गुप्ता के साथ निर्भय गूर्जर ने इटावा जिले के सहसो इलाके के जाहरपुर गांव स्थित सिद्वबाबा मंदिर में शादी की थी। निर्भय ने नीलम से पहले मुन्नी पांडे, सीमा परिहार, पार्वती उर्फ चमचुल से शादी की थी। बीहड़ की जिक्र करने पर नीलम की आंखें भर आती हैं। नीलम ने बताया कि निर्भय ने उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी। माता-पिता ने मेरे लिए लाखों सपने देखे, जिसे डकैत ने मिट्टी में मिला दिए। नीलम ने कहा कि बीहड़ अब खामोश है और इसे ऐसे ही रहना चाहिए। भटक कर गलत रास्ते पर जाने वाले लोगों से नीलम अपील करते हुए कहती हैं कि हल और फावड़ा पकडऩा, पर बंदूक को हाथ नहीं लगाना क्योंकि ये किसी की सगी नहीं होती।
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