पदमश्री प्रो. दयाकिशोर हाजरा ने कहा कि पेस्टीसाइड के अंधाधुंध इस्तेमाल से सब्जियों, अनाज और फलों के जरिए शरीर में घुल रहा घातक केमिकल पैंक्रियाज की कोशिकाओं को नष्ट कर रहा है। रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि खेती-किसानी और विभिन्न क्षेत्रों में जो भी पेस्टीसाइड इस्तेमाल किए जा रहे हैं वह इंसुलिन को नियंत्रित करने वाली पैंक्रियाज की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही वजह है कि 25 की उम्र वाले भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं।
प्रो. हाजरा ने बताया कि ५० वर्ष पहले तक दो या तीन फीसदी लोग ही डायबिटीज से पीडि़त होते थे। इसके पीछे जीन प्रमुख कारण था। पर आज अब 25 फीसदी चपेट में आ गए हैं और इतने ही हाई रिस्क में हैं। ऐसे में कहीं न कहीं पेस्टीसाइड और प्रदूषण सबसे बड़े जिम्मेदार हैं। वहीं, डॉ. एनके सिंह ने कहा कि पेस्टीसाइड पानी में प्रदूषण के जरिए शरीर में या खाने-पीने के दूसरे माध्यमों से पहुंच रही है।
प्लास्टिक प्रदूषण भी इसके लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। इससे निकलने वाला केमिकल विभिन्न माध्यमों से शरीर में प्रवेश कर रहा है। अधिवेशन में कई प्रदेशों के विशेषज्ञों ने शिरकत कर विचार प्रस्तुत किए। संगठन की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी, चेयरमैन डॉ. बृज मोहन, डॉ. भास्कर गांगुली, डॉ. अनुराग मेहरोत्रा, प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी आदि मौजूद रहीं।
विशेषज्ञों ने सलाह देते हुए कहा कि डायबिटीज को लेकर गल्र्स स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। क्योंकि यही परिवार की धुरी बनती है। बेटियों के लिए यह जानना जरूरी है कि स्वस्थ लाइफ स्टाइल कैसी होनी चाहिए। अगर वे इस बारे में जागरूक रहेंगी तो खान-पान को लेकर भी सावधानी बरतेंगी।