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कानपुर

पहलवान का वजन देख हैलट के डॉक्टर दंग, अंडकोष से निकाला गया 27 किलो का ट्यूमर

डॉक्टरों का दावा देश में यह पहला केस है, जबकि दूनिया में दूसरा इतना बड़ा ट्यूमर सकुशल निकाला

कानपुरFeb 13, 2018 / 06:48 pm

Vinod Nigam

kanpur
कानपुर, देश व प्रदेश में पहलवानी के दांव से दर्जनों को चित करने वाले पहलवान को हैलट के अस्पताल के डॉक्टर देख कर दंग रहे गए। उसका वनज 105 किलो के ऊपर था तो पेट के नचे अंडकोष गुब्बारे की तरह फूला था। डॉक्टरों ने आल्ट्रासाउंड कराया तो अंडकोष में ट्यूमर पाया। चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मरीज के पेट से 27 किलो वनज का ट्यूमर डॉक्टरों ने निकाला। सर्जरी विभाग के डॉक्टर निशांत सक्सेना ने बताया कि देश में यह पहला केस है, जबकि दूनिया में दूसरा इतना बड़ा ट्यूमर मरीज के अंडकोष से सकुशल निकाला गया है। डॉक्टर के मुताबिक इंटरनेशनल जर्नल केस रिपोर्ट ऑफ सर्जरी में अभी तक इस तरह का एक ही मामला रिपोर्ट हुआ है।
देश में पहला मामला
फतेहपुर जिला अस्पताल से रेफर होकर औंग निवासी पहलवान राजपाल हैलट कानपुर लाए गए। उनका पेट के नीचे अंडकोष गुब्बारे की तरह से फूला था। डॉक्टरों ने उन्हें एडमिट कर इलाज शुरू किया। सर्जरी विभाग के डॉक्टर निशांत सक्सेना की टीम ने मरीज का अल्ट्रासउंड कराया। रिपोर्ट में मरीज के अंडकोष के अंदर एक बड़े ट्यूमर की जानकारी मिली। छह सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने देरशाम ऑपरेशन शुरू किया। करीब चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पहलवान के अंडकोष से 27 किलो वजन का ट्यूमर निकाला। सर्जरी विभाग के डॉक्टर निशांत सक्सेना ने बताया कि इसके पहले भारत में इतना बड़ा ट्यूमर नहीं पाया गया। डॉक्टर के मुताबिक झोलाछाप के गलत इलाज के चलते छोटी गांठ ने ट्यूमर में बदल गई। मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य है और ट्यूमर की जांच के लिए उसे पैथालॉजी भेजा गया है।
चलना-फिरना हो गया था बंद
औंग थानाक्षेत्र के गनचौली से अपने पिता राजपाल का इलाज कराने के लिए बेटा राजेंद्र हैलट पहुंचा। राजेंद्र ने बताया कि उनके पिता ने एक बेहतरीन पहलवान थे और कई अवार्ड जीते। पर छह साल पहले पिता के अंडकोष में दर्द शुरू हुआ तो हमने झोलाछाप के पास उन्हे ंले गए। उसने गांठ के बताए अंडकोष में पानी बताया और उसे सुखाए जाने के लिए इलाज शुरू कर दिया, पर उन्हें फाएदा नहीं हुआ। छह साल से अंडकोष में ट्यूमर था, जिसका आकार इतना बढ़ गया था कि चलना-फिरना तो दूर, उनका खड़ा होना भी मुश्किल हो गया था। बेटे राजेंद्र ने बताया कि पहले झोलाछापों के चक्कर में पड़े रहे और मर्ज बढ़ता गया। फतेहपुर में डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। हैलट अस्पताल में सर्जरी विभाग के डॉ. निशांत सक्सेना की यूनिट में पिता को भर्ती कराया। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन कर 27 किलो का ट्यूमर निकाल दिया।
105 किलो था पहलवान का वजन
पहलवान को जब हैलट में एडमिट कराया गया तो उनका वनज 105 किलो था। ऑपरेशन के बाद अब उनका वजन 75 किलो हो गया है। सर्जरी विभाग के डॉ. निशांत सक्सेना ने बताया कि अंडकोष में होने वाले ट्यूमर का विश्व में यह अब तक यह दूसरा सबसे बड़ा मामला है। इससे पहले एक मरीज के अंडकोष से 32 किलो का ट्यूमर निकाला गया था। कर्नाटक के कस्तूरबा मेडिकल कालेज में उसका ऑपरेशन हुआ था। सफल ऑपरेशन को करने वाले डॉक्टर सक्सेना के अलावा प्लास्टिक सर्जन डॉ.प्रेम शंकर, जूनियर डॉक्टर अरविंद, डॉ. विनोद, डॉ. उज्जवल शामिल थे। पहलवान के बेटे ने बताया कि पिता को वार्ड संख्या पांच में रखा गया है। वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।

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