इन बसों के लिए टेंडर 30 अक्तूबर तक हो जाएगा और 15 नवंबर तक पात्र पाए जाने वाली कंपनियों से करार हो जाएगा। प्रदेश के 14 शहरों में पीपीपी मॉडल पर बसें चलाई जाएंगी। इसके बाद इलेक्ट्रिक एसी बसें दिसंबर से चलनी शुरू हो जाएंगी। इन बसों को चलाने वाली कंपनियों को होने वाले घाटे की भरपाई राज्य सरकार करेगी। इलेक्ट्रिक वाहन चलने से पेट्रोल और डीजल की खपत कम होगी और यात्रियों को भी कम किराए में यात्रा का मौका मिल सकता है।
पीपीपी मॉडल पर चलने वाली इन बसों को चलाने के लिए कंपनियों को अपना चालक रखना होगा, लेकिन कंडक्टर सरकारी होगा। पीपीपी मॉडल पर जहां भी बसें चल रही हैं वहां घाटा देखने को मिल रहा है। इसीलिए नगर विकास विभाग ने तय किया है कि चालक कंपनियां रखेंगी व कंडक्टर सरकारी होगा, आय के बारे में पता चल सके। लखनऊ, आगरा व कानपुर में 100-100 बसें चलेंगी। गाजियाबाद, मथुरा-वृंदावन, मेरठ, प्रयागराज व वाराणसी में 50-50 बसें चलेंगी। अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, गोरखपुर व झांसी में 25-25 बसें चलेंगी।