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कानपुर

सेना के लिए बनेगी ऐसी वर्दी, जिसे पहनकर गायब होंगे जवान

स्थापना के १०५ वर्ष पूरे होने पर यूपीटीटीआई में जुटे पूर्व छात्र ७५वें पूर्व छात्र सम्मेलन में नई तकनीक के बारे में बताया गया

कानपुरDec 02, 2019 / 11:39 am

आलोक पाण्डेय

सेना के लिए बनेगी ऐसी वर्दी, जिसे पहनकर गायब होंगे जवान

सेना के लिए बनेगी ऐसी वर्दी, जिसे पहनकर गायब होंगे जवान

कानपुर। अब सीमा पर दुश्मन हमारे जवानों को नहीं देख पाएगा। उसकी नजर से बचाने के लिए हमारे जवानों के लिए ऐसी वर्दी तैयार की जा रही है। इसके लिए खास तरह का कपड़ा बनाया गया है। इस कपड़े की वजह से हमारे सैनिक दुश्मन की निगाह से बचकर उसे चकमा दे सकेंगे। इस वर्दी को इलेक्ट्रॉनिक टेक्सटाइल बहुत ही खास तकनीक है, जिससे तैयार कपड़ा जगह के हिसाब से अपना रंग बदलता है। इससे कपड़ा आसानी से नजर नहीं आता है। यह जानकारी डीएमएसआरडीई के वैज्ञानिक डॉ. के के गुप्ता ने दी।
यूपीटीटीआई में हुआ पूर्व छात्र सम्मेलन
उत्तरप्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान के पूर्व छात्र सम्मेलन के दौरान मोतीझील के लाजपत भवन में डॉ. गुप्ता ने छात्रों को टेक्सटाइल की हाईटेक तकनीक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक टेक्सटाइल एवं स्मार्ट टेक्सटाइल से ऐसा कपड़ा तैयार किया जा रहा है जो जगह के हिसाब से अपना रंग बदलता है, इस कपड़े से बनी वर्दी पहनकर हमारे सैनिक आसानी से छिप सकते हैं। जंगली इलाके में यह कपड़ा वनस्पतियों जैसा रंग लेता है, इसलिए इसे पहनने वाला आसानी से नजर ही नहीं आता। इस दौरान अरुण गंगवार ने ग्लास फाइबर के बारे में जानकारी दी।
पूर्व छात्रों ने ताजा की यादें
सम्मेलन में शामिल होने कनाडा से आए 1985 बैच के सरवेंद्र सिंह बताते हैं कि कॉलेज में सबसे ज्यादा यादगार दिन हॉस्टल के थे। हॉस्टल में सीनियर जूनियर से मस्ती करते थे। सीनियर मग्घा, टॉयलेट नं. 2, मुर्गा आदि नाम लेकर बुलाते थे। साथ ही हमेशा मनोरंजन भी करते थे। कुश्ती देखने गए थे वर्ष 1962 बैच के आरपी शर्मा बताते हैं कि हम लोग एक दिन पालिका स्टेडियम में कुश्ती देखने गए। वहां पहलवान ने भीड़ में से किसी एक को कुश्ती लडऩे के लिए बुलाया। मेरे सारे दोस्तों ने मुझसे बहुत कहा। उत्साह में दोस्तों के कहने पर मैंने हां कर दी।

कम हो रही छात्रों की दिलचस्पी
लखनऊ के अरविंद बताते हैं कि टेक्सटाइल में छात्र-छात्राओं की रुचि कम हो रही है, क्योंकि तकनीक में इतनी तेजी है कि संस्थानों में कुछ अलग पढ़ाया जाता है। कंपनियां कुछ अलग कराती हैं। अब के समय में पहले 2 से 3 साल एक छात्र को ट्रेंड करने में लग जाता है। इसमे सुधार की जरूरत है। अरविंद कुमार उपाध्याय ने यूपीटीटीआई से 1976 में डिप्लोमा, 1980 में बीटेक और 1991 में एमटेक किया।

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