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कानपुर

कातिल का कत्ल, वादियों की मौत फिर भी जिंदा है राम की कोर्ट में जंग

राजाराम सिंह की आंख के सामनें फूलन देवी ने 20 लोगों के सीने में दागी थी गोलियां, इसी चश्मदीद ने दर्ज करवाया था मुकदमा।

कानपुरOct 17, 2019 / 01:12 am

Vinod Nigam

कातिल का कत्ल, वादियों की मौत फिर भी जिंदा है राम की कोर्ट में जंग

कातिल का कत्ल, वादियों की मौत फिर भी जिंदा है राम की कोर्ट में जंग

कानपुर। सिर पर काला पट्टा, हाथ में राइफल लेकर फूलन देवी 14 फरवरी 1981 को बेहमई गांव में गैंग के सदस्यों के साथ दाखिल हुई। कुएं के पास खड़ी होकर फूलन दहाड़ी और लालराम को ललकारते हुए घर से बाहर आने को कहा। जब वह नहीं आया तो गुस्साई फूलन ने एक लाइन में खड़ा कर 20 बेगुनाह लोगों को गोलियों से भून दिया। इस हत्याकांड को 38 साल हो गए हैं, लेकिन वो दर्द इस केस के अकेले चश्मदीद राजाराम सिंह आज भी महसूस करते हैं। कहते हैं कि कातिल का कत्ल, वादियों की मौत केे बाद अब भी हमें कोर्ट से न्याय की उम्मीद है।

राजराम ने दर्ज करवाया था मुकदमा
बेहमई निवासी ठाकुर राजाराम सिंह (73) किसानी करते हैं। इन्होंने हत्याकांड के बाद पुलिस में फूलनदेवी समेत गैंग के अन्य सदस्यों के खिलाफ मकुदमा लिखवाया था। राजराम पिछले 38 साल से केस की पैरवी कर रहे हैं। राजाराम ने 14 फरवरी की तारीख को याद कर सहम जाते हैं। कहते हैं, फूलनदेवी की आंखों में खून सवार था। वह लालाराम और श्रीराम को हर हाल में मारना चाहती थी। फूलन को शक था कि क्षत्रीय बाहूल्य गांव बेहमई में दोनों शरण लिए हुए हैं। इसी के कारण उसने गांव में धावा बोल दिया और 20 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

आगे-आगे चल रही थी फूलन
राजराम बताते हैं कि बीहड़ों से होते हुए डकैत गांव के आखिरी छोर से आए थे। फूलन आगे-आगे चल रही थी। फूलनदेवी सबसे पहले सुरेंद्र सिंह के घर के अंदर दाखिल हुई और उसे पीटते हुए बाहर लाई। इसके बाद एक-एक कर 19 अन्य ग्रामीणों को बाहर लाया गया। फूलन देवी ने राइफल सुरेंद्र के सिर पर तान दी और फिर गोली चला दी। इसके बाद गैंग के अन्य सदस्यों ने भी ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए सभी को मौत के घाट उतार दिया। राजराम बताते हैं कि फूलन की नजर हम पर पड़ी। उसने राइफल से कई फायर किए, लेकिन गोली कान के बगल को छूते हुए निकल गई। हम भूसे के अंदर छिप गए और हमारी जान बच गई।

डकैतों के जाने के बाद आई पुलिस
राजराम बताते हैं कि 12 बजे फूलन देवी गांव में दाखिल हुई। कई घरों में डकैती डाली और करीब 7 घंटे तक गांव में कोहराम बचाया। शाम 7 बजे फूलने नदी पारकर दूसरी तरफ चली गई। उसके जाने के बाद घरों में छिपे ग्रामीण बाहर आए । लाइन से 20 लाशें बिछी पड़ी थी। लाशों और खून को देखकर मैं बेहोश हो गया। जब आंख खुली तो रात में करीब 3 बज गए थे और गांव में पुलिस आ गई थी। पुलिस ने फूलन का पीछा भी किया, लेकिन बीहड़ में वह डकैतों के साथ लापता हो गई। राजाराम कहते हैं कि पुलिस बीहड़ में मौजूद थी, लेकिन उस तक जानकारी नहीं पहुंची।

फिर फूलन बनीं डकैत
फूलन देवी की शादी 11 साल की उम्र में कर दी गई थी। बाद में उसे उसके परिवार वालों ने छोड़ दिया। 15 साल की उम्र में फूलन का रेप हुआ। बताया जाता है कि इसी के बाद फूलन डकैत बन गई। पहली बार फूलन 14 फरवरी 1981 में चर्चा में आई, जब उसने बेहमई गांव में बदला लेने के नाम पर 20 लोगों को गोली मार दी। इस कांड के बाद पुलिस फूलन के पीछे पड़ गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रदेश सरकार से हर हाल में फूलन को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। यूपी सरकार की की पहल पर 1983 में फूलन ने गैंग के अन्य सदस्यों के साथ सरेंडर किया था। फूलन बिना मुकदमा चलाए 11 साल तक जेल में रही।

1994 में जेल से रिहा
1994 में मुलायम सिंह ने जेल से रिहा कर दिया। 2 साल बाद मुलायम ने उन्हें सपा से सांसद का टिकट दे दिया और वह 1996 में मिर्जापुर से सांसद बन गई। वहीं, ठाकुरों की मौत का बदला लेने के लिए राजस्थान के रहने वाले शेर सिंह राणा ने 2001 में फूलन के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी। फूलन की मौत के बाद आज भी ठाकुर राजाराम सिंह उसे कोर्ट के जरिए सजा दिलवाने के लिए मुकदमा लड़ रहे हैं। पिछले 38 सालों से तारीख-पे-तारीख मिलने के बाद भी उनके हौसले में कमीं नहीं आई।

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