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कानपुर

कमांडो को तिरंगे में लपेटकर दी विदाई, नहीं जले घरों मे चूल्हे

जनपद में मूसानगर के सरायं गांव के जितेंद्र का तिरंगे में लिपटा शव गांव पहुंचते ही लोगों में कयामत सी छा गई है।

कानपुरDec 07, 2017 / 01:31 pm

Mahendra Pratap

Farewell of commando with a tricolor

कानपुर देहात. जनपद में मूसानगर के सरायं गांव के जितेंद्र का तिरंगे में लिपटा शव जैसे ही गांव पहुंचा। मानो कयामत सी आ गई। परिजन, यार, मित्र सभी के आंसू बहने लगे। उसकी दास्तां बताते हुए लोग फफक पड़े। घटना गुरुग्राम की है, जहां जितेंद्र बीएसएफ मे 2001 में वायरलेस आपरेटर पद पर चयनित हुआ था। 2 वर्ष पूर्व वह एनएसजी में डेपुटेशन पर आया हुआ था। घरेलू कलह के चलते कमांडो जितेंद्र यादव ने अपनी पत्नी और उसकी बहन को गोली मारने के बाद खुद को गोली मारकर जीवन लीला समाप्त कर ली। बीएसएफ टीम के साथ एनएसजी कमांडो जितेंद्र सिंह का शव मूसानगर के सरायं गांव में जब आया तो लोगों में मातम का माहौल बन गया। इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया। पूरे गांव में गम का माहौल बना हुआ है, गांव में लोगों के घरों में चूल्हे तक नहीं जले।

ये है पूरा मामला

जिले के मूसानगर थाना क्षेत्र के सरायं गांव निवासी जितेंद्र यादव पुत्र गया प्रसाद यादव का वर्ष 2001 में बीएसएफ में वायरलेस ऑपरेटर पर पर चयन हुआ था। दो साल पूर्व ही वह 5 वर्ष के लिए एनएसजी में डेपुटेशन पर आया था। दो दिन पूर्व रात में ड्यूटी से लौटने के बाद घरेलू कलह के चलते पत्नी गुड्डन और उसकी बहन खुशबू को गोली मारने के बाद अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। ससम्मान जितेंद्र का शव गांव आते ही कोहराम मच गया।

परिजन सहित शोक मे डूब गया पूरा गांव

इस घटना के बाद से परिवारी जनों का बुरा हाल है। पिता गयाप्रसाद यादव शोक में डूबे रहे समूचे गांव का माहौल गमगीन हो गया। शोक में डूबे सरायं गांव के दर्जनों घरों में चूल्हे तक नहीं जले। सूरत में नौकरी कर रहे भाइयों के आने के बाद जितेंद्र का अंतिम संस्कार गांव के पास स्थित उनके खेतों में किया गया। जितेंद्र के बड़े भाई ओम सिंह ने मुखाग्नि दी।

गांव के साथी बोले हमेशा याद रहेगा

जितेंद्र के मित्रों का कहना था, वह मृदुभाषी था। उसके सहपाठी सरांय गांव निवासी दीपू यादव ने बताया जितेंद्र बचपन से ही तीव्र बुद्धि का था। आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी उसने कड़ी मेहनत से गांव का नाम रोशन किया। जितेंद्र के बारे में बताते-बताते सभी फफक पड़े। और कहने लगे जितेंद्र हमेशा याद आएगा प्राथमिक शिक्षा सर्वोदय जूनियर विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद रामस्वरूप इंटर कॉलेज पुखरायां से हाईस्कूल व इंटर किया। इंटर के बाद ही 2001 में जितेंद्र को बीएसएफ में नौकरी मिल गई। नौकरी मिलने के बाद वह घर के लिए समर्पित था।

बीएसएफ मे कार्यरत वीपी सिंह बोले

गुरुग्राम से अंतिम संस्कार में शामिल होने आए बीएसएफ में कार्यरत वीपी सिंह और उसके साथी ने बताया कि जितेंद्र बेहतर स्वभाव के साथ ही ड्यूटी के प्रति पूरी तरह से लगनशील था। उन्होंने बताया कि यही कारण था कि अफसरों के सामने बेहतर छवि छोड़ने के साथ ही जितेंद्र की अपनी अलग पहचान थी। सभी का चहेता था गुरुग्राम से आए असिस्टेंट कमांडर मुकेश कुमार ने बताया कि जितेंद्र ड्यूटी के दौरान भी साथियों के साथ मित्रवत व्यवहार रखता था। अपने स्वभाव के कारण जितेंद्र से सबकी पटती थी और छुट्टी मे घर आने पर भी सभी साथी उसको याद किया करते थे।

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