पहले शहीदों के घर जाएंगे दोनों नेता
पच्छिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर शनिवार को कानपुर देहात के नोनारी गांव आ रहे हैं। वो शहीद श्यामबाबू के परिजनों से मिलेंगे। फिर यहां से एक होटल में बैठक करेंगे। जहां कानपुर नगर , देहात, कन्नौज, इटावा, मिश्रित सीट के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ ही पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जीत का मंत्र देंगे। इसके पहले सिंधिया और राजबब्बर आगरा के गांव केहरई गांव जाकर शहीद जवान कौशल कुमार रावत के परिजनों से मिलेंगे। फिर यहां से दोनों नेता मैनपुरी के विनायकपुर गांव में शहीद जवान राम वकील के घर जाएंगे। इसके बाद दोनों का काफिला कन्नौज पहुचेगा। वो यहां के अजान गांव के शहीद प्रदीप सिंह के घर जाएंगे और यहीं से सीधे कानपुर देहात के नोनारी गांव के शहीद श्यामबाबू के परिवारवालों से मिलकर उन्हें सात्वनां देंगे।
सपा का मुकबाला सीधे कांग्रेस से
सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38 पर बसपा और 37 पर सपा चुनाव मैदान में उतरेंगी। अखिलेश यादव के खाते में ऐसी संसदीय सीटें आई हैं, जहां उनका मुकाबला बीजेपी की बजाय कांग्रेस से होगा। सूबे की ऐसी करीब एक दर्जन लोकसभा सीटें हैं, जहां प्रियंका गांधी और सिंधिया के आने के बाद कांग्रेस मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में इन सीटों पर प्रियंका का मुकाबला मायावती से नहीं बल्कि अखिलेश से होता नजर आ रहा है। बता दें कि 2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस महज दो सीटें अमेठी और रायबरेली ही जीत सकी थी। इसके अलावा करीब छह ऐसी सीटें थीं, जहां पर वो दूसरे नंबर पर रही थी. ।इनमें लखनऊ, कानपुर, कुशीनगर, गाजियाबाद, सहारनपुर और बाराबंकी संसदीय सीटें शामिल थीं।इसके अलावा वाराणसी और मिर्जापुर लोकसभा सीट पर सपा से ज्यादा वोट कांग्रेस को मिला था.।
कानपुर सीट कभी नहीं जीती सपा
सपा-बसपा के बीच सीट शेयरिंग में अखिलेश के खाते में लखनऊ, कानपुर, झांसी के अलावा कुशीनगर, गाजियाबाद, वाराणसी और बाराबंकी संसदीय सीटें आई हैं। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जहां पर सपा ने कभी जीत का स्वाद नहीं चखा है। जबकि इन सीटों पर ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता रहा है। यही नहीं कानपुर में सपा चौथे और वाराणसी में पांचवें नंबर पर रही थी. जबकि लखनऊ, गाजियाबाद, और कुशीनगर में काफी पीछे रही थी। प्रियंका गांधी के राजनीतिक दस्तक देने के बाद सूबे के सियासी समीकरण बदले हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में नया जोश दिख रहा है।
सिंधिया की बैठक में सिर्फ पदाधिकारी
23 फरवरी को सिंधिया और राज बब्बर के साथ बैठक में सिर्फ जिलाध्यक्ष व बड़े नेताओं को बुलाया गया है। इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया एक-एक जिलाध्यक्ष से बूथवार रिपोर्ट मांगेगे। साथ ही जमीनी कार्यकर्ताओं का एनपुट भी लेंगे। कांग्रेस नगर अध्यक्ष ने बताया कि पार्टी का संगठन कानपुर में बीजेपी, सपा व बसपा के मुकाबले बड़ा है। हम बूथों तक पहुच चुके हैं। बैठक के दौरान किन-किन मुद्दों पर चर्चा होगी, इस पर उन्होंने बोलने से इंकार कर दिया। सूत्रों की मानें तो बैठक के दौरान कानपुर मे ंचल रही गुटबाजी पर खासकर मंथन होगा। भीतरघात करने वाले नेताओं पर संभवता पार्टी जल्द ही कार्रवाई कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि नगर सीट से कांग्रेस इस बार युवा महिला चेहरे को चुनाव के मैदान में उतार सकती है।