हां वरुण का तेवर उतना तल्ख तो नहीं था, लेकिन नरम लहजों में ही सही वरुण ने अपने मन की बात कर डाली। दरअसल वरुण गांधी मंगलवार को इंदौर के विद्यासागर कॉलेज में लेक्चर दे रहे थे। इस दौरान वरुण ने उन सारे मुद्दों को छुआ, जो बीजेपी के लिए हाल के दिनों में मुश्किल का सबब बनते रहे हैं। इसमें हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी, विजय माल्या की फ़रारी और किसानों के क़र्ज़ जैसे मुद्दे शामिल हैं।
‘रोहित के सुसाइड नोट पर रोना आया’ वरुण ने इंदौर के विद्यासागर कॉलेज में ‘विचार नए भारत का’ विषय पर लेक्चर दिया। वरुण ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “पिछले साल हैदराबाद में दलित पीएचडी छात्र रोहित वेमुला ने अपनी जान दे दी। जब मैंने उसकी चिट्ठी पढ़ी, तो मुझे रोना आ गया। इस चिट्ठी में उसने कहा कि मैं अपनी जान इसलिए दे रहा हूं कि मैंने इस रूप में जन्म लेने का पाप किया है।”
अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर वरुण ने कहा, “देश की आबादी में 17।18 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, लेकिन इनमें से केवल चार फीसदी लोग उच्च शिक्षा हासिल कर पाते हैं। हमें इन समस्याओं को हल करना है।”
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना वरुण ने क़र्ज वसूली में किसानों से ज़्यादती का आरोप लगाते हुए कहा, “देश के ज्यादातर किसान चंद हजार रुपये का कर्ज न चुका पाने के चलते जान दे देते हैं, जो किसान खुदकुशी करते हैं उन पर 40, 50 या 60 हज़ार का क़र्ज़ होता है, लेकिन विजय माल्या पर सैकड़ों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया होने के बावजूद वह एक नोटिस मिलने पर देश छोड़कर भाग गया।” वरुण ने आगे कहा, “जिस मनमोहन का नाम माल्या के गारंटर के रूप में लिया गया वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं बल्कि पीलीभीत का किसान मनमोहन है।”
वरुण ने साथ ही देश के बड़े औद्योगिक घरानों पर बकाया कर्ज माफ करने पर निशाना साधते हुए कहा कि अमीरों को रियायत दी जा रही है, जबकि गरीबों की थोड़ी सी संपत्ति को भी निचोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। वरुण के ये बोल अपने बड़े भाई राहुल गांधी जैसे हैं।
हाल में बीजेपी ने यूपी चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की पहली लिस्ट में वरुण को जगह नहीं दी थी। दूसरी लिस्ट में भी उन्हें आख़िरी नंबर पर रखा गया। माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व से नाराज़ वरुण ने चुनाव से दूरी बना ली है।