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कानपुर

मेहर में नकद की बजाय सोना देने का बढ़ा चलन

सोने की जगह प्रॉपर्टी भी कर दी जाती है बीबी के नामशादी के जेवरों को ही मेहर का नाम देकर की जाती चालाकी

कानपुरApr 09, 2019 / 02:07 pm

आलोक पाण्डेय

nikah mehar

मेहर में नकद की बजाय सोना देने का बढ़ा चलन

कानपुर। मुस्लिम समाज में मेहर का चलन पुराना है। इसमें निकाह के पहले मेहर की रकम तय होती है और निकाह के बाद दुल्हन को यह रकम दूल्हे की ओर से दी जाती है। अभी तक मेहर में नकद दिए जाने का चलन था पर अब इसमें सोना दिया जाने लगा है। कई जगहों पर तो सोने की जगह प्रापर्टी भी दी जाती है।
क्या है मेहर का कानून
मेहर वो रक़म है जो किसी लड़की का होने वाला शौहर लड़की तो तोहफे के तौर पे दिया करता है, लेकिन यह रक़म लड़की तय किया करती है। इस मेहर को न तो वापस लिया जा सकता है और ना ही माफ़ करने के लिए लड़की पे दबाव डाला जा सकता है। इस रक़म के निकाह के पहले अदा किया जाना चाहिए या फिर लड़की जैसी शर्त रखे उसके अनुसार अदा किया जाना चाहिए। लड़की अगर यह रक़म बाद में लेने के लिए तैयार अपनी मजऱ्ी से है तो ठीक वरना अगर लड़की मना कर दे तो इस रकम को अदा किये बिना आप उसके साथ शौहर बीवी की हैसियत से नहीं रह सकते।
शौक के तौर पर देते सोना
मुस्लिम समाज के अमीर परिवारों में सोना देने का चलन शुरू हुआ है। ये लोग बीबी को मेहर की रकम के बदले उतनी या उससे ज्यादा राशि का सोना दे देते हैं। उनके लिए यह बड़ी बात नहीं, वे मेहर के नाम पर सोना देकर रस्म भी पूरी कर देते हैं और बीबी उसके जेवर पहनकर खुद उसकी मालकिन बन जाती है।
कई मामलों में बरती जाती चालाकी
निकाह के दौरान लड़के वाले लड़की के लिए सोने के जेवर लेकर जाते हैं। सोना देने का चलन शुरू होने के बाद कई लोग इसी जेवर के बराबर वजन का सोना मेहर के नाम पर तय कर देते हैं। इससे इन्हीं जेवरों को देकर वे मेहर की रस्म पूरी करा देते हैं और अलग से उन्हें कोई धनराशि नहीं देनी होती है। आल इंडिया मुस्लिम महिला फरजाना बेगम बताती हैं कि मेहर में शौहर अगर नगद के बजाय सोना दे रहा है तो कोई हर्ज नहीं पर वह सोना दिए जा रहे जेवरों से अलग होना चाहिए।

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