अन्य एम्स और मेडिकल संस्थानो के मुकाबले ऋषिकेष एम्स की प्रणाली ज्यादा बेहतर मानी जाती है। इसी वजह से ऋषिकेश मॉडल अपनाने पर जोर दिया गया। यहां पर फैकल्टी पूरी हो गई है और कर्मचारियों की भर्ती भी हो गई। यहंा का लैब भी मॉडर्न है और क्लीनिकल और नॉन क्लीनिकल साइड दोनों बेहद मजबूत हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां पर सुपर स्पेशियलिटी की पढ़ाई का तरीका सबसे बेहतर है।
मेडिकल कालेज प्राचार्य प्रो. लालचंदानी की अध्यक्षता में ऋषिकेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में डॉ. संजय काला, डॉ. आर के मौर्या और डॉ. मनीष को शामिल किया गया है। ये लोग एम्स के प्रशासनिक सेटअप को समझेंगे और वहां के स्टाफ और विभागों के बारे में जानकारी जुटाएंगे। इसके अलावा वहां शिक्षा की गुणवत्ता के लिए किए जा रहे प्रयासों को जानना सबसे अहम होगा।
जीएसवीएम को इंस्टीट्यूट के साथ डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने की भी तैयारी है। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी चर्चा हो चुकी है। प्रो. चंदानी के मुताबिक स्वास्थ्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि जीएसवीएम अन्य संस्थानों से अलग होगा और इसके लिए जो भी संभव होगा किया जाएगा। इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने यहां का ब्योरा भी जुटाया है। संसाधनों की जरूरत से जुड़ी रिपोर्ट भी केंद्रीय मंत्रालय को सौंपी जा चुकी है।