शहर में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। बुखार से पीडि़त मरीजों की निजी पैथॉजियों में जांच कराने पर 80 प्रतिशत में डेंगू मिल रहा है। हालांकि कुल मिलाकर डेंगू से अब तक 39 मौत हो चुकी हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग एक भी मौत स्वीकारने को तैयार नहीं। हैलट ओपीडी के मेडिसिन विभाग में सोमवार को मरीजों की सबसे ज्यादा भीड़ रही। विभाग के डॉ. प्रेम सिंह, डॉ. बीपी प्रियदर्शी और डॉ. जेएस कुशवाहा ने जांच की। डॉ. प्रेम सिंह ने बताया कि डेंगू जैसे लक्षणों वाले मरीज बहुतायत में आए। चिकनगुनिया, टायफायड के लक्षणों वाले मरीज भी आ रहे हैं। उर्सला, कांशीराम अस्पताल की ओपीडी में भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं।
बताया जाता है कि मर्दनपुर निवासी कक्षा नौ के छात्र ऋषभ सैनी (15) को एक हफ्ते से बुखार आ रहा था। जांच में डेंगू की पुष्टि होने के बाद पीपीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुधार न होने पर रविवार को रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान सोमवार को मौत हो गई। जरौली फेज-2 स्थित सरदार पटेल इंटर कॉलेज का छात्र ऋषभ दो बहनों के बीच इकलौता भाई था। मर्दनपुर के ही अजय कुमार प्रजापति की बेटी लवी (6) को बुखार आने पर एक क्लीनिक में दिखाकर इलाज कराया गया। परिजनों ने बताया कि जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। रविवार देर रात खून की उल्टियां होने लगीं। हैलट ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
गड़रिया मोहाल निवासी कबाड़ का काम करने वाले रविकांत गुप्ता को आठ दिन से बुखार था। परिजनों ने बताया कि वे मेडिकल स्टोर से दवाएं मंगाकर खा रहे थे। हालत बिगडऩे पर उन्हें एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया गया, निजी लैब में डेंगू की पुष्टि हुई। वहां से जवाब देने पर रविवार रात हैलट इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई। दबौली वेस्ट मिनी एलआईजी कालोनी निवासी राजेश शर्मा की पत्नी बसंती (30) को भी पांच दिन से बुखार था। परिजनों ने बताया कि बर्रा के रमाशिव हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। सोमवार सुबह हालत बिगडऩे पर डॉक्टरों ने जवाब दे दिया तो मधुराज नर्सिंगहोम ले जाया गया, जहां दो घंटे बाद ही दम तोड़ दिया। दबौली वेस्ट में डेंगू से एक महीने में नौ मौत हो चुकी हैं।