लक्ष्मीपत सिंघानियां इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. संतोष कुमार सिन्हा, डॉ. पुनीत कुमार, डॉ. महमुदुल रजी के मुताबिक जून के प्रथम सप्ताह में 64 वर्षीय मरीज को 15 वर्षों से डायिबिटीज और हाइपरटेंशन की बीमारी थी। उसे सीने में दर्द, सांस फूलने चलने फिरने में दिक्कत की शिकायत के बाद संस्थान में भर्ती किया गया था। शुरुआती जांच पड़ताल में सब कुछ ठीक निकला। इकोकार्डियोग्राम में नसों में सूजन की आशंका हुई तो उसे एंजियोग्राफी कराने की सलाह दी गई। एंजियोग्रोफी में पाया गया उसकी लेफ्ट मेन धमनी काफी लम्बी थी।
डॉक्टरों ने मुताबिक जो धमनी पांच से आठ मिलीमीटर होनी चाहिए वह लगभग 80 मिलीमीटर की थी। धमनी की चौड़ाई भी सामान्य की अपेक्षा काफी अधिक थी। अभी तक विश्व में लेफ्ट मेन धमनी अधिकतम 50 मिलीमीटर तक ही रिपोर्ट है। मरीज की एंजियोग्राफी में कोई क्लाटिंग की बात सामने नहीं आई। इसका इलाज किया जा रहा है। दरअसल ऐसे मरीजों में खून की सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती है। डॉ.संतोष सिन्हा के मुताबिक खून का फ्लों नहीं बनता है जिससे मरीज को सीने में दर्द और सांस फूलने की शिकायत होती है।
कार्डियोलॉजी में कानपुर देहात के एक मरीज में सबसे लंबी मिली है धमनी ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने वैज्ञानिकों के दावे को माना। सांस फूलने व चलने फिरने में दिक्कत की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया। कार्डियोलॉजी के डॉक्टर भी इस प्रमुख धमनी को देखकर हैरत में पड़ गए। ऐसे मरीजों को हार्ट अटैक में मृत्यु की संभावना 20 गुना तक बढ़ जाती है। मरीज को अस्पताल से छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है और उसे फालोअप में रखा गया है।