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कानपुर

घर का बजट बिगाड़ रही पब्लिक स्कूलों की बढ़ती फीस, अभिभावक हैरान

फीस में जुड़े अलग-अलग मद लोगों की समझ से बाहर
स्कूलों की मनमानी के आगे लाचार हुए अभिावक
 

कानपुरApr 14, 2019 / 02:09 pm

आलोक पाण्डेय

public school

घर का बजट बिगाड़ रही पब्लिक स्कूलों की बढ़ती फीस, अभिभावक हैरान

कानपुर। शुल्क निर्धारण अध्यादेश के बाद मिली लूट की छूट से पब्लिक स्कूल मनमानी पर आमादा हो गए हैं। पब्लिक स्कूलों ने फीस के नाम पर अलग-अलग मदों में फीस वसूली कर अभिभावकों को कंगाल कर दिया है। ट्यूशन फीस के साथ इतनी मदें जोड़कर फीस वसूली जा रही है कि अभिभावकों के लिए मुश्किल हो गया है। शहर के एक दो नहीं 90 फीसदी स्कूलों का यही हाल है। देखादूनी में मिशनरी स्कूलों ने भी अब तो फीस के नाम पर मनमानी शुरू कर दी है। हालात यह हो गए हैं कि लोगों के घर का बजट भी बिगड़ गया है।
समझ में नहीं आते ये मद
फीस के साथ जुड़े मद अपने आप में रहस्य हैं। लोगों का कहना है कि पब्लिक स्कूलों में पहले तो ऐसा नहीं था। किस-किस चीज की फीस ली जा रही है यह स्पष्ट होता था, पर पता नहीं ये नए-नए मद कौन से जोड़ दिए गए। फीस में पब्लिक स्कूलों द्वारा एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस, एनुअल फीस, डेवलपमेंट फीस, एनुअल फंक्शन फीस, स्मार्ट क्लास फीस, लैब फीस, ई-लर्निंग फीस, एक्टिविटी फीस, लाइब्रेरी फीस, मैगजीन फीस, डायरी फीस, आईडेंटिटिी कार्ड का चार्ज, इंश्योरेंस फीस, स्पोर्टस फीस, हेल्थ कार्ड, एगजाम फीस, मेंटीनेंस फीस, इलेक्ट्रिसिटी फीस, वाटर फीस, कन्वेंस फीस, योगा, टर्म फीस, जेनरेटर फीस, एगजाम फीस में वसूली की जाती है।
कोई कुछ नहीं बताता
लोगों का कहना है कि स्कूल की रहस्यम मदें उन्हें समझ नहीं आतीं। स्कूल में पूछने पर भी कोई बताने वाला नहीं कि फीस किन-किन मदों में वसूली जा रही है। बच्चे की तिमाही फीस में ट्यूशन फीस तो 6800 रुपए है। इसमें अदर फीस के नाम पर ट्यूशन फीस से भी ज्यादा 9700 रुपए वसूला जा रहा है। एलआरसी फीस के नाम पर 1300 रुपए की ठोंका है। कुल मिलाकर तिमाही 17,800 रुपए और 4500 रुपए बस का अलग से चार्ज जुड़ा है।
अध्यादेश से मिली लूट की छूट
सरकर ने शुल्क निर्धारण अध्यादेश बनाकर स्कूलों को लूट की खुली छूट दे रखी है। जितना मन चाहे अभिभावकों से अलग-अलग मदों में लूटे रहो बोलने वाला कोई नहीं है। अफसर आखें बंद किए हैं तो नेताओं की जुबान करोड़ों के चंदे ने बंद कर रखी है। सरकार का फीस नियंत्रण अध्यादेश-2018 कागजों में कैद है। सीबीएसई, आईसीएसई, यूपी बोर्ड के स्कूलों में फीस नियंत्रण अध्यादेश का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके पीछे वजह यह है कि स्कूल चलाने वालों में नेता, नौकरशाह और बड़े व्यापारी शामिल हैं।

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