नौबस्ता पुलिस ने लोगों को झांसा देकर ठगने वाले बीएसए दफ्तर के निलंबित चपरासी और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपित सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर अब तक 25 लोगों से एक करोड़ रुपए ठग चुके हैं। इस बार फंसने पर वह मामला सुलटाने के लिए पीडि़त के पास आया था तभी दबोच लिया गया। नौबस्ता और घाटमपुर थाने में पहले से ही उस पर एफआईआर दर्ज हैं।
जी-ब्लॉक बाबानगर निवासी मेडिकल स्टोर संचालक अवधेश शर्मा के मकान में घाटमपुर निवासी अरुण सविता ने किराए पर कमरा लिया था। पत्नी सरोज और दो बेटों के साथ रहता था। अरुण ने खुद को घाटमपुर के भीतरगांव स्थित बारीगांव प्राथमिक पाठशाला में शिक्षक बताया था। मेलजोल बढऩे पर अरुण ने अवधेश की पत्नी पूनम की सरकारी स्कूल में लिपिक की नौकरी लगवाने का झांसा देते हुए पांच लाख रुपए लिए थे।
अरुण सविता ने पूनम को घाटमपुर के बड़ी महताइन स्थित राष्ट्रीय जनकल्याण में लिपिक की नौकरी का फर्जी ज्वाइनिंग लेटर दिया। वहां ज्वाइनिंग कराने जाने पर प्रबंधक ने लेटर फर्जी बताया गया। पूनम और अवधेश ने बीएसए ऑफिस जाकर छानबीन की तो लेटर फर्जी बताते हुए जानकारी दी तो पता चला कि वह अध्यापक नहीं, बल्कि चपरासी है। 28 मई 2018 से वह सस्पेंड चल रहा है। अवधेश घर पहुंचा तो अरुण के कमरे में ताला लगा मिला, जिसके बाद से लापता था।
अवधेश ने आरोपित और उसकी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की एफआईआर दर्ज कराई थी। इससे डरा अरुण पत्नी के साथ अवधेश के मेडिकल स्टोर पहुंचा। केस वापस लेने के एवज में ली गई पूरी रकम और एक लाख ज्यादा देने की बात कही। अवधेश ने हामी भरते हुए लिखापढ़ी कर केस वापस लेने का झांसा दिया और चुपके से नौबस्ता पुलिस को सूचित किया। जानकारी पर पहुंची नौबस्ता पुलिस ने आरोपित और उसकी पत्नी को घेरकर गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ के दौरान पता चला कि आरोपितों की बीएसए ऑफिस में अच्छी पकड़ है। वहां के कुछ कर्मचारी भी आरोपित का साथ धोखाधड़ी और जालसाजी में देते हैं। बीते वर्ष जिस दिन अवधेश बीएसए ऑफिस अरुण के बारे में जानकारी जुटाने पहुंचे थे, उसी दिन अरुण को कारस्तानी के खुलासे की भनक लग गई थी। अवधेश घर पहुंच पाते, इससे पहले किराए के कमरे में ताला डालकर अरुण परिवार समेत भाग गया था। पीडि़त लोगों को किया गया एकजुट अरुण ने कानपुर के कई लोगों को नौकरी का झांसा दे शिकार बनाया है।