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कानपुर

दो मिनट में पता चलेगी मिट्टी की सेहत, समय से मिलाए जा सकेंगे उर्वरक

आईआईटी ने बनाया मिट्टी का परीक्षण करने वाला उपकरणआर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग पर काम करेगा

कानपुरFeb 17, 2020 / 03:21 pm

आलोक पाण्डेय

दो मिनट में पता चलेगी मिट्टी की सेहत, समय से मिलाए जा सकेंगे उर्वरक

दो मिनट में पता चलेगी मिट्टी की सेहत, समय से मिलाए जा सकेंगे उर्वरक

कानपुर। फसल बोने से पहले किसान मिट्टी की जांच कराता है, ताकि मिट्टी की सेहत और उसकी जरूरतों का पता चल जाए, जिससे बुआई से पहले ही उसकी जरूरतें पूरी की जा सकें, लेकिन इसमें काफी समय बर्बाद होता था और किसानों को बुआई में देरी हो जाती थी। लेकिन अब आईआईटी ने एक ऐसा उपकरण बनाया है, जिससे तुरंत मिट्टी की सेहत का पता चल जाएगा और किसान समय से उर्वरकों की जरूरत को पूरा कर सकेंगे। इससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
बेलनाकार है उपकरण
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. जयंत कुमार सिंह ने ये बेलनाकार उपकरण तैयार कर शोध को पेटेंट कराया है। कानपुर के कल्याणपुर ब्लाक के गांव सकसूपुरवा, बैकुंठपुर, हृदयपुर, ईश्वरीगंज और प्रतापपुर हरि में स्वाइल टेस्टिंग शुरू भी हो गई है। अब मिïट्टी की सेहत का हाल जानने के लिए किसानों को अब दो दिन इंतजार की जरूरत नहीं होगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग पर काम करने वाला उपकरण भू-परीक्षक महज दो मिनट में मिïट्टी की स्थिति बयां कर देगा।
जरूरत भर का ही उर्वरक डालेंगे
मिट्टी में नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटेशियम की सही मात्रा की जानकारी होना जरूरी है। जानकारी के अभाव में अत्यधिक रासायनिक खाद और दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिससे फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है। ऐसे में यह उपकरण बहुत कारगर होगा। इससे मिली रिपोर्ट के आधार पर सही मात्रा में पोषक तत्व मिलाकर मिïट्टी की सेहत बेहतर रखी जा सकेगी।
मोबाइल पर मिलती जानकारी
मिट्टी की जांच के लिए मिट्टी को पानी में घोलने के बाद घोल को छानकर उपकरण में डालते हैं। इसे ब्लूटूथ से मोबाइल से जोड़ा जाता है और दो मिनट में नतीजे स्क्रीन पर आ जाते हैं। 2 मिनट में नतीजा आने से सबसे बड़ी राहत यह है कि किसानों को इंतजार नहीं करना पड़ता है।
छह महीने में २४ हजार का खर्च
मिट्टी की जांच करने वाले इस उपकरण में सोडियम, पोटेशियम और फॉरफोरस की अलग-अलग झिल्ली (मेंबरेन) होती है। एक मेंबरेन की आयु छह माह तक ही रहती है। एक मेंबरेन की कीमत करीब आठ हजार रुपये है। छह महीने में 24 हजार रुपये का खर्च आएगा। इस्तेमाल न करने पर साल भर में झिल्ली खराब हो जाती है। इसका फायदा किसान समूह में लेकर उठा सकते हैं। इससे उनकी लागत भी कम हो जाएगी और आसानी से वह मिïट्टी की देखरेख भी कर सकेंगे।
सस्ता उपकरण भी आएगा
आइआइटी केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह का कहना है कि इस उपकरण की कीमत फिलहाल 40 हजार रुपये है लेकिन इसका एडवांस और सस्ता वर्जन भी तैयार किया जा रहा है जिसकी कीमत 20 से 22 हजार रुपये होगी। इसके लिए मेंबरेन को हटा कर एडवांस सेंसर इस्तेमाल किए जाएंगे। इससे इसकी उम्र छह माह के बजाय चार से पांच साल हो जाएगी।

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