
IIT Kanpur discovers technology to connect broken bones easily
आईआईटी की नई तकनीक से टूटी हड्डियों को जोड़ना अब आसान होगा। यही नहीं, जहां बोन रिप्लेसमेंट (हड्डियों को बदलना) की जरूरत होगी, वहां भी यह तकनीक कारगर साबित होगी। इससे हड्डियों के बीच आए खाली स्थान को भी हड्डी से ही भरा जा सकेगा। जल्द देशभर के अस्पतालों में मरीजों को लाभ मिलने लगेगा, क्योंकि आईआईटी कानपुर ने इसका लाइसेंस कॉमर्शियल कंपनियों को दे दिया है। इसी तरह, आईआईटी ने सात अन्य तकनीकों का लाइसेंस भी कॉमर्शियल कंपनियों को दे दिया है।
इस वर्ष आईआईटी के वैज्ञानिकों ने शोध पूरा कर ऐसी आठ तकनीक विकसित की हैं, जिनके उपयोग से अलग-अलग क्षेत्र में समस्याएं कम होंगी। इनका लाभ समाज को मिल सके, इसके लिए संस्थान ने उसी सेक्टर में काम करने वाली कॉमर्शियल कंपनी को लाइसेंस दिया है। संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि इस वर्ष पॉलीमर कंपोजिट स्केफोल्ड्स फॉर बोन रीजनरेशन, पोर्टेबल सॉयल टेस्टिंग डिवाइस, एयर सैंपलिंग डिवाइस, दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, कंडक्टिव एक्वा नैनो इंक फॉर्मूलेशन, ए प्रॉसेस ऑफ क्रिएटिंग फ्लेक्सिबिल पेपर सर्क्यूटिरी व इको-फ्रेंडली इंक फॉर रोलर बाल पेन तकनीक का लाइसेंस कॉमर्शियल किया है।
किस टेक्नोलॉजी का लाइसेंस किसे मिला
पॉलीमर कंपोजिट स्केफोल्ड्स फॉर बोन रीजनरेशन : इसे आईआईटी के प्रो. अशोक कुमार और अरुण कुमार तेवतिया की टीम ने बनाया है। इसका लाइसेंस आर्थो रीजेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है।
एयर सैंपलिंग डिवाइस: इसे आईआईटी के प्रो. तरुण गुप्ता और अमित सिंह चौहान ने विकसित किया है। इसका लाइसेंस एयरशेड प्लानिंग प्रोफेशनल्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर: इसे आईआईटी के प्रो. शिखर कुमार झा, विजय कुमार यादव, ओम प्रकाश ने विकसित किया है। इसका लाइसेंस स्टेमरेव रिफाइनरीज प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है।
पोर्टेबल सॉयल टेस्टिंग डिवाइस : इसे आईआईटी के प्रो. जयंत कुमार सिंह ने बनाया है। इसका लाइसेंस एग्रोनेक्स्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर: इसे आईआईटी के प्रो. जे रामकुमार, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, डॉ. शिखा झा ने विकसित किया है। इसका लाइसेंस अल्बॉट टेक्नोलॉजीज को दिया गया है।
Updated on:
28 Aug 2022 08:07 pm
Published on:
28 Aug 2022 08:02 pm
बड़ी खबरें
View Allकानपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
