IIT के प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य ने बताया कि यह किट प्रग्नेंसी के दौरान जांच की तरह है। इसके जरिए कोई भी व्यक्ति घर बैठे इस बात का पता लगा सकेगा कि उसके रक्त में डेंगू के वायरस मौजूद हैं या नहीं। इससे सही समय पर डेंगू के वायरस का पता लगाया जा सकेगा और मरीजों को होने वाली मौत को रोकने में सफलता मिलेगी। प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य ने बताया कि कानपुर में पिछले पांच सालों 5 सौ से ज्यादा लोगों की मौत डेंगू के चलते हुई है और इन मौतों के कारण समय से जांच न कराना सामने आई है। प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य के मुताबिक हर दिन अस्पतालों की ओपीडी में दर्जनों मरीज डेंगू के आते हैं ओर डॉक्टर उनकी जांच के लिए पैथालॉजी भेजते हैं। जहां मरीज को जांच के नाम पर मुंहमांगी रकम खर्च करनी पड़ती है, लेकिन इस किट से महज सौ रूपए में आम आदमी जांच कर सकता है।
हैलट के डॉक्टरों ने माना कारगर किट
प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य ने बताया कि मरीज अपने घर पर ही सिर्फ एक बूंद रक्त से अधिकतम 10 मिनट के भीतर ही डेंगू की पुष्टि कर देगी। शांतनु भट्टाचार्य के मुताबिक, प्रेग्नेंसी टेस्ट कार्ड जैसी इस जांच किट से शुरुआती तीन दिनों में ही डेंगू होने का पता लगाया जा सकेगा। हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि आईआईटी के बुलावे पर वह संस्थान गए थे और किट को देखा था। यह किट डेंगू के साथ मलेरिया की जांच में कारगर सिद्ध साबित होगी। डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि ’किसी भी मरीज के शरीर में डेंगू वायरस होने पर शुरुताअी तीन दिनों तक इसके खास लक्षण नहीं उभरते, बल्कि अगले तीन दिनों के भीतर अचानक प्लाज्मा लीकेज के कारण प्लेटलेट काउंट तेजी से घटना शुरू हो जाता है। जांच रिपोर्ट लैब में भेजने के बाद रिपोर्ट के इंतजार में लगभग एक सप्ताह निकल जाता है। बताया कि इस संशय के कारण अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज में काफी गलती होने की आशंका भी बनी रहती है।
एक साल से चल रहा था रिसर्च
प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य ने बताया कि इससे निपटने के लिए पिछले एक वर्ष की मेहनत के बाद आईआईटी-कानपुर में पेपर माइक्रोफ्लूइडिक तकनीक से एक टेस्ट कार्ड तैयार किया गया है। संस्थान में सीरम के साथ एनएस-1 प्रोटीन के साथ नमूने बनाकर टेस्ट किए गए। यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहे। अभी इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा। इसके बाद अगले एक साल के भीतर यह कार्ड बाजार में उपलब्ध होगा। बताया, नैनो तकनीक पर आधारित इस कार्ड में ग्रैफन ऑक्साइड की पतली परतों के बीच सोने के बेहद मामूली कण बिखरें हैं। इस कारण यह तकनीक सही नतीजे देने में कामयाब होगी। उन्होंने बताया कि डेंगू होने पर एक लाल रेखा के जरिए इसे साधारण आंखों से पहचाना जा सकेगा। इसे अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स में भी प्रकाशित किया जा चुका है।