आईआईटी के शिवली गेट के पास 20 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है। निर्माण में आठ सौ करोड़ रुपये की लागत आएगी। मरीजों को इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से टाटा और आईआईटी प्रशासन इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है। यहां कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आईआईटी के वैज्ञानिक और डॉक्टर तकनीक विकसित करने का भी काम करेंगे।
आईआईटी में बनने वाले सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, इंडोक्रायनोलॉजी, नेफ्रोलॉजी के इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। मरीजों को इन गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी होगी।
मेडिकल स्कूल के लिए तैयार प्रस्ताव के मुताबिक शुरुआत में यहां एमडी, एमएस की कक्षाएं चलेंगी। आईआईटी कानपुर देश का पहला संस्थान होगा, जहां इंजीनियरिंग के साथ मेडिकल की न सिर्फ पढ़ाई होगी, बल्कि दोनों पाठ्यक्रमों के विशेषज्ञ और छात्र मिलकर काम करेंगे। हाल में आईआईटी की बायोसाइंस एंड बायोइंजीनियरिंग ब्रांच ने चिकित्सा के क्षेत्र में काफी काम किया है।
नवजात के पीलिया रोग को जल्द सही करने के लिए फोटोथेरेपी मशीन तैयार की है। इसके अलावा डेंगू किट, मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के इलाज पर भी कई शोध सफल हुए हैं। अभी भी केजीएमयू, लखनऊ के साथ मिलकर यहां के छात्र और विशेषज्ञ कई बीमारियों का इलाज ढूंढने पर काम कर रहे हैं।