बहराइच के पखरपुर निवासी जाकिर की शादी कलीमुन से हुई थी. जाकिर ने 1997 में कलीमुन की हत्या कर दी थी. मामले में 16 सितंबर 1999 को उसको बहराइच कोर्ट से सजा सुनाए जाने पर जेल भेज दिया गया था. वह करीब दस साल जेल में रहा था. इसके बाद पंद्रह दिन की पैरोल पर वह जेल से बाहर आया था. इस दौरान उसका गांव की शकीला उर्फ बिïट्टा से प्रेम प्रसंग हो गया. पैरोल की अवधि खत्म होने पर जेल वापस जाने के बजाए वह शकीला को लेकर कानपुर आ गया. यहां पर उसने अपना नाम बदलकर राशिद रख लिया. वह मछली वाला हाता में तिलक नगर निवासी मो. कामरान के कारखाना में रहकर चौकीदारी करता था.
6 मार्च 2013 को शकीला की मां जैनब (55) उसको ढूंढते हुए राशिद के घर पहुंच गई. जैनब के साथ उसके तीनों बेटे इब्राहिम (35), रियाज (25) और सद्दाम (3) भी थे. जैनब ने राशिद उर्फ जाकिर को धमकी दी कि अगर तुमने शकीला को हमारे साथ नहीं भेजा तो वह पुलिस को उसकी सच्चाई बता देगी. यह सुनकर राशिद इतना भड़क गया कि उसने शकीला के सामने ही लोहे की रांपी से जैनब, इब्राहिम और हियाद की हत्या कर उनकी गर्दन काट दी. राशिद ने 3 साल के सद्दाम को भी मारने की कोशिश की लेकिन शकीला ने उस पर चद्दर डालकर उसको बचा लिया था. राशिद ने भी उसको बच्चा समझकर छोड़ दिया.
राशिद तीनों की हत्या कर पत्नी शकीला के साथ भाग गया. अगले दिन सुबह वारदात का खुलासा हुआ. पुलिस को कारखाना की तलाशी के दौरान सद्दाम मिला था. वह बेहद सहमा हुआ था. पुलिस को पूछताछ में उसने सच्चाई बता दी थी. पुलिस ने 8 मार्च को शहर से भागने की कोशिश कर रहे राशिद और शकीला सेंट्रल स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ में पता चला कि वह जेल से भागा हुआ मुजरिम है. शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर तिवारी ने बताया कि 10 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज हुए. जिसमें सबसे अहम बयान सद्दाम का था. कोर्ट ने साक्ष्य और बयान के आधार पर राशिद को मृत्युदंड और शकीला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.