अब तक ऐसे ५१ मरीज मिले हैं जो इन बीमारियों से पीडि़त थे। इनमें दस रोगियों की मौत हो चुकी है। स्वाइन फ्लू से पीडि़त अन्य मरीजों का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक दिन और रात के मौसम में ज्यादा बदलाव चल रहा है तब तक सावधानी बरतें और खानपान का ख्याल रखें।
बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता वैसे भी कम होती है। जो बच्चे अस्थमा और निमोनिया से पीडि़त रह चुके हैं उनमें स्वाइन फ्लू का खतरा ज्यादा है। संक्रामक रोग अस्पताल में एक साल का बच्चा गंभीर हालत में है। बच्चों पर स्वाइन फ्लू का हमला होने से उनमें हीमोगलोबिन का स्तर तेजी से गिरने लगता है।
हालांकि गर्मी बढ़ रही है पर स्वाइन फ्लू के रोगियों की संख्या कम नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के वेक्टर बोर्न डिसीजेस अभियान के महामारी विशेषज्ञ डॉ. देव कुमार सिंह का मानना है कि एएच१एन१ फ्लू और स्वाइन फ्लू अलग होता है। डब्ल्यू एचओ ने इसे सीजनल फ्लू माना है।
स्वाइन फ्लू की चपेट में आए एमबीबीएस के छात्रों के लिए अलग कमरे की व्यवस्था की गई है। इसी अलग कमरे में ये छात्र परीक्षा देंगे। इसके अलावा छात्रों के लिए स्वाइन फ्लू मास्क की व्यवस्था कराई गई है। कक्ष परीक्षक भी मास्क पहनेंगे। छात्रावास में भी छात्रों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है।