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कानपुर

किसानों को बढ़ी यूरिया की किल्लत, बाजारों का है ये हाल, वजह जानिए

बाजारों में खाद विक्रेता इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं।

कानपुरAug 17, 2020 / 07:28 pm

Arvind Kumar Verma

किसानों को बढ़ी यूरिया की किल्लत, बाजारों का है ये हाल, वजह जानिए

किसानों को बढ़ी यूरिया की किल्लत, बाजारों का है ये हाल, वजह जानिए

कानपुर देहात-खेतों में खड़ी धान व मक्का फसल के लिए वर्तमान में यूरिया की आवश्यकता है वहीं साधन सहकारी समितियों में यूरिया उपलब्ध न होने से किसान परेशान दिख रहा है। जिसके चलते बाजारों में खाद विक्रेता इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। सहकारी समिति में मिलने वाली यूरिया किसानों को बाजार में महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है। किसानों के मुताबिक सरकारी 266 मूल्य वाली यूरिया 50 से 100 रुपए तक महंगी मिल रही है, जो कि 300 रुपए से लेकर 350 रुपए तक में मिल रही है। इस तरह किसानों को फसल में ज्यादा लागत लग रही है। जबकि अधिकारी लॉकडाउन के प्रभाव को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।
कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र में अधिकांश सहकारी समिति में यूरिया खाद उपलब्ध नहीं है। दरअसल बताया गया कि बारिश होने के बाद और धान में बाली निकलने के पहले यूरिया का प्रयोग किया जाता है वहीं मक्के की फसल में किसान यूरिया खाद डालते हैं, लेकिन इस समय यूरिया की किल्लत चल रही है। बताया गया कि रसूलाबाद क्षेत्र में 15 साधन सहकारी समितियां हैं, लेकिन दो चार को छोड़कर सभी के यहां यूरिया नहीं है। जिससे सहकारी समितियों में ताला बंद रहता है। वहीं डेरापुर तहसील क्षेत्र के बड़ागांव भिक्खी साधन सहकारी समिति में यूरिया खाद उपलब्ध ना होने के कारण किसान परेशान है।
किसानों ने बताया कि सरकारी समिति में खाद काफी समय से न मिलने से किसानों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। साधन सहकारी समिति बड़ागांव भिक्खी के सचिव अनुज कुमार ने बताया कि खाद के लिए सीसीएल बैंक में अगस्त के प्रथम सप्ताह में लगा दी गई थी। लेकिन समिति को ऋण उपलब्ध न कराए जाने के चलते खाद नहीं मिल पा रही है। झींझक क्षेत्र की समितियों में खाद न होने के कारण किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं। झींझक क्षेत्र की झींझक सहकारी सहकारी समिति व औरंगाबाद सहकारी समिति, मंगलपुर सहकारी समिति में यूरिया खाद न होने से किसान परेशान हैं।
कृषि अधिकारी सुमित पटेल कहते है कि लॉकडाउन में यूरिया प्लांट बंद रहे, इसके अलावा मजदूर भी कम मिले। इससे यह समस्या उत्पन्न हुई। ओमान देश से भी आयात में समस्या आई। अभी एक रैक यूरिया उपलब्ध कराई गई थी, तीन से चार दिन के अंदर जल्द ही दूसरी रैक भी मिलेगी, जिससे किसानों को खाद में समस्या नहीं होगी।

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