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कानपुर

बांझपन के लिए महिला नहीं पुरुष भी जिम्मेदार

बढ़ते तनाव और प्रदूषण से पुरुषों में बढ़ रही नपुंसकता और शुक्राणु की कमी पर्याप्त इलाज और बेहतर जीवनशैली से बदले जा सकते हैं हालात
 

कानपुरSep 09, 2019 / 11:53 am

आलोक पाण्डेय

infertility in men

बांझपन के लिए महिला नहीं पुरुष भी जिम्मेदार

कानपुर। समाज में जब भी किसी महिला के संतान नहीं होती है तो उसे बांझ बताया जाता है और केवल उसे ही इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है, पुरुष पर उंगली नहीं उठती है। पर सच यह है कि पुरुषों में भी बांझपन तेजी से बढ़ रहा है। तनाव, नशा, प्रदूषण और खराब जीवनशैली यह स्थिति पैदा हुई है। पुरुष बांझपन हार्टअटैक को भी दावत दे रहा है। बांझपन के लिए पुरुष और महिला बराबर के जिम्मेदार हैं। पुरुषों में नपुंसकता और शुक्राणु की कमी तेजी से बढ़ती जा रही है।
४० साल के बाद हार्टअटैक का खतरा
लैण्डमार्क में मधुराज हॉस्पिटल की 36वीं वर्षगांठ पर आयोजित इंफर्टिलिटी एंड हाईिरस्क प्रेगनेंसी केयर 2019 कांफ्रेन्स में बोलते हुए डॉ. अंशु जिंदल ने कहा कि 40 साल के बाद पुरुषों में 40 तो 50 साल बाद 50 फीसद तक बांझपन देखा जा रहा है। जिसे बांझपन होगा उसमें हार्टअटैक की संभावना भी सबसे ज्यादा होती है क्योंकि दिल को जाने वाली नसों में कोलस्ट्राल जमने के लक्षण सामने आने लगते हैं। नपुंसकता को पर्याप्त इलाज और बेहतर जीवन शैली से ठीक किया जा सकता है।
प्रोटीन का पाउडर भी बढ़ा रहा बांझपन
डॉ. जिंदल ने बताया कि कि आज कल के युवा जिम में जाकर टेस्टोरोन या प्रोटीन के पाउडर का इस्तेमाल करते हैं। इससे भी बांझपन का खतरा बढ़ गया है। डॉ.अंशु ने कहा कि महिलाओं में टीबी बांझपन का बड़ा कारण बन गई है। अब तो मोबाइल का रेडिएशन भी बांझपन का अहम कारण माना जा रहा है लेकिन अभी तक यह स्थापित सत्य नहीं हैं इसलिए पुरुष पैंट की जेब में मोबाइल रखने से परहेज करें।
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