लैण्डमार्क में मधुराज हॉस्पिटल की 36वीं वर्षगांठ पर आयोजित इंफर्टिलिटी एंड हाईिरस्क प्रेगनेंसी केयर 2019 कांफ्रेन्स में बोलते हुए डॉ. अंशु जिंदल ने कहा कि 40 साल के बाद पुरुषों में 40 तो 50 साल बाद 50 फीसद तक बांझपन देखा जा रहा है। जिसे बांझपन होगा उसमें हार्टअटैक की संभावना भी सबसे ज्यादा होती है क्योंकि दिल को जाने वाली नसों में कोलस्ट्राल जमने के लक्षण सामने आने लगते हैं। नपुंसकता को पर्याप्त इलाज और बेहतर जीवन शैली से ठीक किया जा सकता है।
डॉ. जिंदल ने बताया कि कि आज कल के युवा जिम में जाकर टेस्टोरोन या प्रोटीन के पाउडर का इस्तेमाल करते हैं। इससे भी बांझपन का खतरा बढ़ गया है। डॉ.अंशु ने कहा कि महिलाओं में टीबी बांझपन का बड़ा कारण बन गई है। अब तो मोबाइल का रेडिएशन भी बांझपन का अहम कारण माना जा रहा है लेकिन अभी तक यह स्थापित सत्य नहीं हैं इसलिए पुरुष पैंट की जेब में मोबाइल रखने से परहेज करें।