किराए के मकान में रहे 30 साल
अश्वनी लोहानी कानपुर के हर्ष नगर में रामसनेही कटियार के मकान में किराये पर रहते थे। बचपन के इस घर और आरएस कटियार के बेटे सुबोध कटियार के बहुत करीबी थे। सुबोध कटियार अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन अश्वनी का उनके साथ बहुत समय बीता है। सुबोध कटियार के छोटे भाई की पत्नी शोभा कहती हैं कि अश्वनी भाई साहब ने एक किताब लिखी है। इसमें उन्होंने हमारे बड़े भाई सुबोध को भी जगह दी है। आज भी जब वह कानपुर आते हैं तो घर जरूर आते हैं।
अश्वनी लोहानी के पिता बसंत कुमार लोहानी उत्तराखंड के रहने वाले थे। नैनीताल और अल्मोड़ा में उनका घर है। उन्होंने इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के बाद पीएचडी की। इसके बाद शहर के गवर्नमेंट सेंट्रल टेक्सटाइल इंस्टीट्यूट (जीसीटीआई) में पढ़ाने लगे। वह यहां हर्ष नगर में किराये पर रहते थे। बसंत कुमार के परिवार में बेटा अश्वनी और बेटी कुमकुम थी। बसंत 1965 से 1974 तक जीसीटीआई में वाइस प्रिंसिपल रहे। 1974 से 1983 तक वह प्रिंसिपल रहे। इसके बाद इंस्टीट्यूट की कॉलोनी में बने बंगले में शिफ्ट हो गए। रिटायरमेंट के बाद इलाहाबाद, लखनऊ में रहे और बाद में अपने बेटे अश्वनी के साथ दिल्ली में रहने लगे। 2014 में उनकी मृत्यु हो गई।
कैंट के सेंट एलॉयसिस हाईस्कूल से प्रारंभिक शिक्षा
अश्वनी लोहानी का एडमीशन कैंट के सेंट एलॉयसिस हाईस्कूल में कक्षा पांच में 18 जुलाई 1967 को हुआ था। उन्होंने यहां पर सीनियर कैंब्रिज (इंटरमीडिएट समकक्ष) तक पढ़ाई की। इस स्कूल में 10 दिसंबर 1973 तक पढ़े। उनकी दिलचस्पी मैकेनिकल इंजीनियरिंग में थी, इसलिए उन्होंने कानपुर के टेक्टसाइल इंस्टीट्यूट में बीटेक में एडमीशन तो लिया लेकिन तीन महीने बाद ही छोड़ दिया, क्योंकि उन्हें बिहार के जमालपुर में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकैनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इजीनियरिंग में दाखिला मिल गया।
बेटी की शादी में शामिल होगा कटियार परिवार
कटियार परिवार की बहू ने बताया कि आशू भाई साहब ने पंद्रह दिन पहले फोन कर अपनी बेटी की शादी की जानकारी हमलोगों को दी थी। शादी अगले महिने दिल्ली में होनी है। उन्होंने पूरे परिवार को न्यौता दिया है। हमसब आशू भाई साहब की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए अभी से तैयारी कर रहे हैं। शोभा ने यह भी बताया कि आशू भाई साहब सितंबर के पहले सप्ताह में कानपुर आने के बारे में भी कहा था।