फेफड़े में पडऩे वाली गांठ यानी फेफड़े का कैंसर जोकि जानलेवा होता है, पर अगर शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए तो उसका इलाज संभव है। आईआईटी, कानपुर के प्रोफेसर केएस वेंकटेश की देखरेख वाली टीम ने इस काम को अंजाम दिया है। टीम को गांधी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2019 से नवाजा गया। दिल्ली में आयोजित समारोह में रियल टाइम सरोगेट विजुअल ट्रैकिंग ऑफ लंग ट्यूमर्स फॉर इफैक्टिव रेडियोथेरेपी प्रोजेक्ट में शामिल छात्रों दर्शन रमेश शेट और प्रिया सिंह ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के हाथों यह सम्मान हासिल किया।
प्रोफेसर अभय कार्रिदकर ने बताया कि अगर गंभीर स्टेज पर पहुंचने से पहले ही समय पर फेफड़े में ट्यूमर का पता चल जाता है तो रेडियोथेरेपी से उसका सफल इलाज किया जा सकता है। समय पर इलाज शुरू होने से यह ज्यादा प्रभावी होने के साथ-साथ सस्ता भी होगा। समय पर इलाज शुरू होने से सटीक स्थान पर रेडियेाथेरेपी से आसपास के ऊतकों को नुकसान नहीं होगा। आईआईटी निदेशक प्रो. कार्रिदकर ने इस खोज के लिए प्रोजेक्ट के सुपरवाइजर प्रोफेसर केएस वेंकटेश सुब्रामणियम और उनकी टीम को बधाई भी दी है।