सदन की बैठक में जब पार्षद दल के उपनेता महेंद्र शुक्ला दद्दा ने कहा कि यहां शहर से लेकर प्रदेश, केंद्र तक में उनकी पार्टी की सरकार है, फिर भी उनकी फाइलें महापौर वार्ता लिखकर रोक रही हैं। उनकी फाइलें क्यों रोकी जा रही हैं महापौर बताएं? महापौर जवाब देने लगीं तो भाजपा पार्षद विकास जायसवाल ने रोकी गई फाइलों की जांच कराने पर जोर दिया। इस पर महापौर ने यह मामला सदन में उठाने लायक न होने का हवाला दिया। इस पर मामला और भडक़ गया।
कुछ ही देर में पार्टी एकता की धज्जियां उड़ गईं और महापौर और दद्दा में आरोप-प्रत्यारोप के दौरान भाजपा पार्षद दो गुटों में बंटे नजर आए। बवाल बढ़ता देख महापौर ने उद्यान अधीक्षक वीके सिंह को स्थिति स्पष्ट करने के लिए सदन पटल पर बुलाया। वीके सिंह ने सदन को बताया कि महापौर और मुख्य अभियंता ने फाइल पर वार्ता के लिए लिखा है, पर वार्ता नहीं हो पाई है। बाद में दद्दा, धीरू त्रिपाठी आदि ने नगर आयुक्त के सदन में न होने की बात कह कर सदन की बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया, हालांकि उनके साथ तीन पार्षद ही सदन से बाहर गए।
बताया जाता है कि महापौर और दद्दा में करीब छह महीने से विकास कार्यों के मामले में तनातनी चल रही है। तीन महीने पहले भी दोनों में पाले खिंचे थे। पार्टी के कुछ नेताओं ने दोनों में सुलह कराने की कोशिश की, पर बात नहीं बनी। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ पार्षद महेंद्र शुक्ला ने पिछले कार्यकाल के दौरान 2014 में अपने वार्ड में उद्यान विभाग से संबंधित विकास कार्य की फाइल बनवाई थी, यह फाइल महापौर प्रमिला पांडेय के पास पहुंची तो उन्होंने इस पर वार्ता लिख दिया, इसी से दोनों में तनातनी शुरू हुई।