एनपीए और अन्य अनियमितताओं की वजह से रिजर्व बैंक ने 16 बैंकों को पीसीए यानी प्रॉम्पटव करेक्टिव एक्शन की सूची में रखा है. सबसे ज्यादा यही बैंक अपने एटीएम शटर गिरा रहे हैं. लागत घटाने की कवायद में इंडियन ओवरसीज से लेकर देना जैसे बैंक यह कदम उठा रहे हैं. बैंकों के प्रतिस्पर्धियों को ज्यादा कैश विदड्रॉल प्वाइंट्स मुहैया कराकर मार्केट हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिल रही है. एटीएम घटाने की अपाधापी में सेंट्रल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र कॉरपोरेशन, यूको, एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैं. निजी सेक्टर में एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, यस बैंक, एक्सिस बैंक भी कम मुनाफे वाले एटीएम पर ताला डाल रहे हैं.
एटीएम की संख्या में सबसे ज्यादा कटौती इंडियन ओवरसीज ने की है. इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि सरकारी बैंकों के इतने एटीएम बंद होने के बावजूद कैश विड्रॉल 2018 में पिछले साल के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा रहा. बैंकों ने पी.रोड, कंपनी बाग चौराहा, स्वरूप नगर, नेहरू नगर, काकादेव, शास्त्री नगर, जरीब चौकी जैसे व्यस्त इलाकों में एटीएम बंद किए हैं. इस बारे में एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पहले चरण में ऑफ साइट एटीएम कम किए जा रहे हैं.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक विरष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बताया कि एक एटीएम की कीमत लगभग तीन से चार लाख और उसे चलाने का खर्च 30 से 40 हजार रुपए महीना आता है. इसके ऊपर लगभग 30 लाख रुपए का कैश जोड़ लें, जिस पर कोई रिटर्न नहीं मिलता. इसके अलावा कैश मैनेजमेंट और अपने व दूसरों के नेटवर्क पर ग्राहकों को मुफ्त ट्रांजेक्शन देना होता है. इसके चलते एटीएम बिजनेस अब बहुत ज्यादा आकर्षक नहीं रहा.